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हमारे पास तो कोयले की कमी नहीं, हर यूनिट चालू; दिल्ली सरकार के पैनिक बटन पर NTPC

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दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार की ओर से कोयले की कमी को लेकर किए गए दावे पर अब नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन (NTPC) का बयान सामने आया है। एनटीपीसी ने शुक्रवार को कहा है कि उसके पास तो कोयले की कमी नहीं है। उसकी हर यूनिट चल रही है। एनटीपीसी ने कहा कि दादरी सेकेंड और ऊंचाहार बिजली संयंत्र पूरी क्षमता के साथ चल रहे हैं। 

एनटीपीसी ने एक बयान में कहा कि वर्तमान ने ऊंचाहार और दादरी स्टेशन ग्रिड 100 फीसदी क्षमता के साथ काम कर रहे हैं। ऊंचाहार यूनिट-1 को छोड़कर ऊंचाहार और दादरी की सभी इकाइयां फुल लोड पर चल रही हैं। दादरी की सभी छह यूनिट और ऊंचाहार की पांच यूनिट पूरी क्षमता के साथ चल रही हैं और नियमित कोयला आपूर्ति भी मिल रही है। 

केंद्र से पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध कराने का अनरोध

एनटीपीसी ने कहा कि फिलहाल दोनों पॉवर प्लांटों में से ऊंचाहार में 140000 मीट्रिक टन और दादरी में 95000 मीट्रिक टन कोयले की आपूर्ति पाइपलाइन में हैं। दिल्ली सरकार ने गुरुवार को कहा कि जिन पांच स्टेशनों से उसे बिजली मिलती है, उनमें से दो पर एक या दो दिन का ही कोयला बचा हुआ है। दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार से पर्याप्त कोयला स्टॉक उपलब्ध कराने का अनुरोध किया। भीषण गर्मी की वजह से राजधानी दिल्ली में बिजली की मांग अप्रैल महीने में पहली बार 6000 मेगावाट प्रतिदिन के स्तर को पार कर गई है।

दिल्ली सरकार बोली- पॉवर प्लांट के पास नहीं बचा है कोयला

दिल्ली के ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन ने शुक्रवार को पैनिक बटन दबाते हुए कहा कि कुछ पॉवर प्लांट्स में एक दिन का ही कोयला स्टॉक बचा है। इससे पहले गुरुवार को उन्होंने कहा था कि दिल्ली को मिलने वाली बिजली आपूर्ति में कमी आई है और इसके चलते निर्बाध सप्लाई जारी रख पाना संभव नहीं होगा। दिल्ली सरकार ने गुरुवार को कहा था कि दादरी सेकेंड में एक दिन का कोयला स्टॉक बचा हुआ है और ऊंचाहार में दो दिन का स्टॉक है। कहलगांव में साढ़े तीन दिन, फरक्का में पांच दिन और झज्जर में सात या आठ दिन का कोयला स्टॉक बचा है।

कई राज्यों ने भी जताई है चिंता

हीटवेव के कारण बिजली की बढ़ती मांग के बीच कई राज्यों ने पिछले सप्ताह पॉवर प्लांटों के लिए कम कोयले के भंडार के बारे में चिंता जताई है। कुछ राज्यों ने लोड शेडिंग का सहारा लिया है क्योंकि बिजली की खपत में बढ़ोतरी के अलावा कोयले की धीमी आपूर्ति के कारण बिजली संयंत्र पूरी क्षमता से नहीं चल पा रहे हैं।

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