भारत में कोविड रोगियों के लिए आ रही विदेशी मदद के वितरण पर सवाल उठ रहे हैं।
वाशिंग्टन में सरकारी प्रेस ब्रीफिंग के दौरा एक संवावादता ने राष्ट्रपति बाइडेन के प्रवक्ता से सीधे पूछ लिया कि यहां से टैक्सपेयर्स की रकम से भेजी गई मदद का भारत में कहां जा रही है। रिपोर्टर ने पूछाः क्या हम चेक कर रहे हैं कि इस मदद का वितरण कैसे हो रहा है। अब तक विपक्ष सवाल पूछ रहा था, अब मदद देने वाले भी सवाल पूछ रहे हैं।
कई देशों से भारत को ऑक्सीजन सिलिंडर, कनसन्ट्रेटर, रेमडेसिविर व अन्य दवाएं आदि चीजें भेजी हैं। तीन हजार टन है यह सामग्री। ऐसा भारतीय मीडिया की रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है। कल एआइएमआइएम के मुखिया ओवैसी ने कहा था कि बीमार मर रहे हैं और मदद हवाई अड्डों पर पड़ी है। यही बात आज अमेरिकन टीवी सीएनएन ने कही है। सीएनएन ने लिखा है कि पिछले हफ्ते जहाज पर जहाज मदद लेकर भारत आते रहे। लेकिन यह मदद सीधे अस्पताल न पहुंच कर हवाई अड्डे के हैंगरों में पड़ी रही।
इस आरोप का केंद्र सरकार ने खंडन किया है और दावा किया है कि उसकी वितरण प्रणाली बड़े मजे में काम कर रही है। लेकिन दावे के विपरीत सत्य यह भी है कि अस्पताल अब भी किल्लत से जूझ रहे हैं। राज्यों के और स्थानीय अफसर कहते हैं कि उन्हें पता ही नहीं कि केंद्रीय मदद कब और कैसे आ रही है और वह किसके हाथ में सौंपी जाएगी।
बहरहाल, स्वास्थ्य मंत्रालय के मंगलवार को जारी बयान में कहा गया है कि सरकार ने विदेशों से आई मदद विभिन्न राज्यों में फैले केंद्र संचालित 38 अस्पतालों में बांट दी है। बयान में वितरित वस्तुओं की संख्या 40 लाख बताई गई है। इसमें दवाएं, ऑक्सीजन सिलिंडर और मास्क जैसी चीजें शामिल हैं।
एक टीवी चैनल के मुताबिक यूपी, एमपी और कर्नाटक आदि कई राज्यों के अफसरों ने मदद मिलने की बात स्वीकार की है लेकिन राजस्थान, पंजाब और झारखंड के अफसरों का कहना है कि उन्हें केंद्रीय मदद की कोई जानकारी नहीं है।