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अयोध्या में कारसेवकों ने कैसे छिपकर बचाई थी जान? ‘खून से लथपथ हो गई थी सड़कें, जानिये पूरी खबर

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अयोध्या में शनिवार (प्रतिष्ठा द्वादशी) को राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ से जुड़े समारोह की शुरुआत हो गई, जिसके लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का अयोध्या पहुंचना शुरू हो गया है. शनिवार से राम मंदिर परिसर में धार्मिक व सांस्कृतिक प्रोग्राम शुरू हो जाएंगे. वर्षगांठ समारोह की शुरुआत यजुर्वेद के पाठ से हुई. दोपहर 12:20 बजे भगवान की भव्य आरती होगी, इसके बाद भगवान को 56 व्यंजनों का भोग भी लगाया जाएगा.

मंदिर पहुंचे स्थानीय निवासी अनूप मिश्रा ने कहा,’जनवरी 2024 में जब प्राण प्रतिष्ठा की गई थी, तब हम राम जन्मभूमि नहीं पहुंच पाए थे लेकिन इस बार हम पहली वर्षगांठ पर रामलला के दरबार में पहुंचकर भाग्यशाली महसूस कर रहे हैं.’ भोपाल की एक श्रद्धालु सरला माहेश्वरी ने कहा,’हम वर्षगांठ समारोह में हिस्सा लेने के लिए दो दिन पहले अयोध्या पहुंचे थे, और आज हम भगवान के दर्शन करेंगे, यह सोचकर बहुत उत्साहित हैं.’

मंदिर ट्रस्ट के मुताबिक 11 से 13 जनवरी तक आयोजित होने वाले इस समारोह में आम लोगों को भी शामिल किया जाएगा, जो पिछले साल ऐतिहासिक समारोह में शामिल नहीं हो पाए थे. साथ ही करीब 110 आमंत्रित वीआईपी भी इसमें शामिल होंगे. अंगद टीला स्थल पर एक जर्मन हैंगर टेंट लगाया गया है, जिसमें 5,000 लोगों की मेजबानी के लिए प्रबंध किया गया है. आम लोगों को इस भव्य समारोह को देखने का अवसर मिलेगा.

ना सिर्फ अयोध्या बल्कि कई जगहों पर राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगांठ पर हिंदू समुदाय में खुशी की लहर है. साथ ही इस मौके पर लोग राम मंदिर बनने के पीछे की कहानियों को भी याद कर रहे हैं. अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर के पीछे एक लंबा इतिहास है. यहां हम आपको कारसेवकों के बारे में बताने जा रहे हैं कि किस तरह उन्होंने सेवा की थी. विश्व हिंदू परिषद के आह्वान पर पूरे देश के कारसेवक अयोध्या में जुटे थे.

बड़ी तादाद में अयोध्या पहुंचने वाले कारसेवकों ने यहां घरों, मंदिरों और आश्रमों में को अपना ठिकाना बनाया हुआ था. ना सिर्फ पूरे उत्तर प्रदेस बल्कि देश के कई राज्यों से कारसेवक यहां इकट्ठा हुए थे. उन्हीं में से उत्तर प्रदेश के हमीरपुर के विदोखर गांव निवासी मिथलेश कुमार द्विवेदी भी शामिल थे. मिथलेश ने बताया कि वो भी कारसेवा के लिए अयोध्या गए थे. उन्होंने बताया कि इस दौरान पुलिस ने उन लोगों पर जमकर फायरिंग भी की थी. मिथलेश का कहना है कि खून से जमीन लाल हो गई थी.

मिथलेश का कहना है कि हंगामे भरे माहौल के बीच हमने लोगों गोलियों से बचकर किसी तरह पंचकोसी की परिक्रमा करने के बाद अयोध्या के पास ही एक गांव में जान बचाने के लिए शरण ली गई थी. उन्होंने बताया कि उस समय अयोध्या के अंदर चप्पे-चप्पे पर पुलिस फोर्स तैनात थी और ऐसे में हम लोगों को वहां से निकलना बहुत ही मुश्किल थी. लेकिन हम लोग खेत और जंगली इलाकों से निकलते हुए 25 किलोमीटर पैदल चलकर घर पहुंचे थे.

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