संस्कृत में ये दो लाइन है-
*सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया,*
*सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुख भागभवेत।*जिसका अर्थ हैं “सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े।”
ऐसा ही दूसरों के लिए काम कर खुशियां बांट रहीं हैं एसआरके फाउंडेशन। मन को बड़ी खुशी होती है ऐसे लोगों को देख कर जो दूसरों की खुशी के लिए निरंतर काम करते रहते हैं।
ऐसी ही मानवतावादी काम कर रही है S.R.K Foundation विगत 5 वर्षा से सामाजिक स्तर पर जरूरतमंद लोगो को राशन किट मुहैया कराती है, साथ ही साथ अनाथ आश्रम तथा वृद्धाश्रम को भी कपड़े, चावल दाल, तेल बिस्किट इत्यादि वस्तुएं दान की जाती हैं। तथा उनके बच्चो की पढ़ाई और किताब दी जाती है। जीव दया के अन्तर्गत मूक जानवरों और पक्षियों को नियमित भोजन दिया जाता है। प्रत्येक पूर्णिमा को गौ माता को विशेष भोजन करवाया जाता है।
S.R.K. Foundation समय समय पर जागरूकता कार्यक्रम का भी आयोजन करती है जिसमें महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों के ग्रामीण इलाकों मे लोगो को शिक्षा, करियर, सुरक्षा, कृषि, स्वास्थ्य के बारे में जागरूक किया जाता है। तथा उनके जीवन को नयी दिशा देने और जीवन में बड़ी लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रेरित किया जाता है।
में S.R.K. Foundation के संस्थापक श्री श्रीपाल जैन बांकली, राजीव बाबूलाल चोपड़ा और इनके समस्त कार्यकर्ताओं को ऐसे मानवतावादी, सामाजिक और धार्मिक कार्य करने के लिए अनोको अनेक धन्यवाद देता हूँ। आप लोग निरंतर ऐसे सामाजिक कार्य करते रहें और देश तथा समाज को मजबूत करते रहें।
राहनुर आमीन लशकर – दैनिक दक्षिण मुंबई