कोरोना वायरस के नए डेल्टा प्लस वेरिएंट को लेकर आईसीएमआर के पूर्व वैज्ञानिक रमन गंगाखेडकर ने चिंता जाहिर की है। डॉ. रमन का कहना है कि ये बहुत तेजी से तो फैल ही सकता है, साथ ही ऑर्गन को बहुत ज्यादा नुकसान भी पहुंचा सकता है। ऐसे में इसे लेकर गंभीरता से सोचा जाना चाहिए।
डॉ रमन गंगाखेडकर ने कहा कि डेल्टा वैरिएंट को वैरिएंट ऑफ कंसर्न की श्रेणी में रखा गया है क्योंकि यह काफी तेजी से फैला है। अगर डेल्टा वैरिएंट चिंता का विषय है तो डेल्टा प्लस वैरिएंट को भी इसी श्रेणी में रखा जाएगा। उन्होंने कहा, यह शायद उन विशिष्ट अंगों को अधिक नुकसान पहुंचाएगा अगर यह सच साबित होता है कि ये प्रमुख पैथोफिजियोलॉजिकल बदलाव का कारण बन रहा है और अलग-अलग अंगों को प्रभावित कर रहा है।
उन्होंने कहा, डेल्टा वैरिएंट सेल से सेल ट्रांसफर के लिए जा सकता है। ऐसे में इससे गंभीर नुकसान हो सकता है। सोच लीजिए कि अगर दिमाग में ये चला गया तो क्या होगा? इसके न्यूरोलॉजिकल सिमटम) उत्पन्न करने का भी अनुमान है।
85 देशों में मिल चुका वेरिएंट
कोरोना का डेल्टा वेरिएंट दुनिया भर के कम से कम 85 देशों में अभी तक मिल चुका है। अभी तक पाये गए अन्य वेरिएंट के मुकाबले अधिक तेजी से फैल रहा है। डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रोस अदनोम ने कहा है कि पूरी दुनिया में डेल्टा वेरिएंट को लेकर चिंता है, डब्ल्यूएचओ भी इसको लेकर चिंतित है।
कोरोना वैक्सीन की कमी को लेकर डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा कि अमीर देश विभिन्न तरह की पाबंदियों के बाद अब अनलॉक की ओर बढ़ रहे है और उन युवाओं को टीका दे रहे हैं जिन्हें कोरोना से ज्यादा खतरा नहीं है। वहीं दूसरी तरफ सबसे गरीब देश वैक्सीन की कमी से जूझ रहे हैं। ऐसे में उनकी ओर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।