कोरोना से अनाथ हुए बच्चों- महिलाओं का रखें विशेष ध्यान, गृह मंत्रालय का राज्य सरकारों को निर्देश
कोरोना की दूसरी लहर की वजह से हजारों लोगों की जान गई है और कई परिवारों में बच्चे अनाथ हो गये हैं। इसे देखते हुए सरकार महिलाओं, बच्चों, वरिष्ठ नागरिकों और अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों समेत समाज के कमजोर वर्गों के लोगों के खिलाफ होने वाले अपराधों और मानव तस्करी को रोकने व उससे निपटने के लिए संस्थागत तंत्रों की स्थापना को उच्च प्राथमिकता दे रही है। गृह मंत्रालय ने तमाम राज्यों को उनकी सुरक्षा के लिए एडवाइजरी जारी की है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से कहा है कि मानव तस्करी को रोकने के लिए कमजोर समूहों खासकर अनाथ हुए बच्चों के लिए सुविधाओं को मजबूत करें। गृह मंत्रालय ने राज्यों से लापता व्यक्तियों के लिए केंद्रीय नागरिक सेवा के बारे में अधिक जागरूकता पैदा करने का भी अनुरोध किया।
गृह मंत्रालय ने राज्यों के कमजोर वर्गों, विशेषकर उन बच्चों जो कोविड-19 की वजह से अपने माता-पिता को खोने के कारण अनाथ हो गए हैं, उन पर ध्यान केन्द्रित करने की बात दोहराई है। उसने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को ऐसे समूहों खासकर बेसहारा बच्चों, चिकित्सा और सुरक्षा की मदद वाले वरिष्ठ नागरिकों तथा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के लिए मौजूदा सुविधाओं की तत्काल समीक्षा करने को कहा गया है। इसके लिए गृह मंत्रालय ने राज्यों से पुलिसकर्मियों को संवेदनशील बनाने, पुलिस थानों में महिला हेल्प डेस्क और जिलों में मानव तस्करी विरोधी इकाइयों को कारगर ढंग से तैनात करने के लिए संबंधित विभागों के साथ समन्वय करने का अनुरोध किया है।
NCRB ने इसे सुविधाजनक बनाने के लिए राज्यों को कई उपकरण जारी किए हैं, जिनमें अंतर-राज्यीय जानकारी साझा करने के उद्देश्य से पुलिस के लिए क्राइम मल्टी सेंटर एजेंसी (सीआरई-मैक), क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम्स (CCTNS) का उपयोग कर लापता और पाए गए व्यक्तियों के बारे में पुलिस के लिए ऑनलाइन राष्ट्रीय अलर्ट सेवा उपकरण शामिल है। इसके अलावा NCRB ने एक वेब-आधारित स्वचालित फोटो मिलान एप्लिकेशन जारी किया है, जोकि सीसीटीएनएस में तस्वीरों के राष्ट्रीय भंडार की तरह लापता व्यक्तियों, अज्ञात शव आदि की तस्वीरों को खोजने में पुलिसकर्मियों को सक्षम बनाता है।