स्वास्थ्य मंत्रालय का राज्यों को निर्देश- ब्लैक फंगस को घोषित करें महामारी।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे महामारी रोग अधिनियम 1987 को तहत एक उल्लेखनीय बीमारी के रूप में वर्गीकृत करने को लेकर अपील की है.
कोरोना संकट के बीच एक नई बीमारी Black Fungus तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है. ऐसे में ब्लैक फंगस यानी Mucormycosis अब नई चुनौती बन रही है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी राज्यों से इसे महामारी घोषित करने का निर्देश दिया है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे महामारी रोग अधिनियम 1987 को तहत एक उल्लेखनीय बीमारी के रूप में वर्गीकृत करने को लेकर अपील की है. बता दें कि इससे पहले राजस्थान, महाराष्ट्र और तेलंगाना इस बीमारी को महामारी घोषित कर चुके हैं.
ब्लैक फंगस के लक्षण (Symptoms of Black Fungus)
1- नाक से खून बहना, नाक में पपड़ी का जमना और नाक से काले रंग जैसा कुछ निकलना
2- नाक का बंद होना, आंखों के पास सूजन, धुंधला दिखना, आंख और सिरदर्द, कम दिखाई पड़ना, आख खोलने में दिक्कत, आंखों का लाल होना
3- चेहरे में झुनझुनी जैसा महसूस होना या चेहरे का सुन्न होना.
4- ब्लैक फंगस से आप संक्रमित हैं या नहीं इसके लिए प्रतिदिन खुद को चेक करें और अच्छी रोशनी में करें ताकि अगर पता चल सके कि आप सक्रमित हैं या नहीं.
5- दांत का गिरना या मुंह के अंदर सूजना होना.
ब्लैक फंगस से किसे सबसे ज्यादा खतरा
1- जिन मरीजों का डायबिटीज लेवल कंट्रोल में नहीं है, या फिर उन्हें स्टेरॉयड या टोकिलीजुमैब दवाई का सेवन किया है उसे इसका सबसे ज्यादा खतरा है.
2- किसी पुरानी बिमारी से ग्रसित या फिर कैंसर के मरीजों को इसका खतरा है.
3- स्टेरॉयड अधिक मात्रा में ले रहे मरीज को इससे खतरा है.
4- कोरोना संक्रमितों या फिर जो वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं उन्हें खतरा है.
ब्लैक फंगस से बचाव
1- ब्लैक फंगस से संक्रमित अगर कोई होता है तो इसे उसे ENT डॉक्टर से संपर्क फौरन करना चाहिए. या फिर किसी अच्छे डॉक्टर से संपर्क करें.
2- अपने शुगर लेवल को रेगुलर मॉनिटर करें
3- किसी अन्य बिमारी से ग्रसित हैं तो उसकी नियमित दवा लेते रहें
4- स्टेरॉयड का सेवन खुद से न करें, डॉक्टर से सलाह जरूर लें
5- डॉक्टर से सलाह लेकर MRI और CT-Scan करवाएं.
ब्लैक फंगस का इलाज
ब्लैक फंगस के इलाज में केवल एम्फोटेरिसिन बी दवा ही काम आती है. इसके अलावा किसी अन्य दवा से इसका फिलहाल के लिए इलाज संभव नहीं है. ऐसे में इस दवा की मांग अचानक से बढ़ी है. इस दवा की कालाबाजारी न हो इसके लिए सरकार द्वारा 4 सदस्यीय कमेटी बनाई गई है जो इस दिशा में काम करेगी.