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BJP ने ‘स्वामी फैक्टर’ की निकाली काट, उतारे 50% से ज्यादा OBC-दलित उम्मीदवार; साबित होगा गेमचेंजर?

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भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने विधानसभा चुनाव के पहले उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। पार्टी ने पहले और दूसरे फेज के लिए 107 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। भगवा दल ने जहां 20 फीसदी विधायकों के टिकट काटे हैं तो 10 सीटों पर महिला उम्मीदवारों को उतारा है। इसके अलावा पार्टी ने दलितों और पिछड़ों पर भी बड़ा दांव खेला है। हाल ही में तीन मंत्रियों समेत कई ओबीसी उम्मीदवारों के पार्टी छोड़ने के बाद भाजपा ने 50 फीसदी से अधिक सीटों पर दलित और पिछड़ों को टिकट दिया है। 

बीजेपी ने जिन उम्मीदवारों की घोषणा की है उनमें 57 पहले फेज में चुनाव लड़ेंगे तो 48 उम्मीदवार दूसरे फेज के लिए हैं। पार्टी ने 44 सीटों पर ओबीसी उम्मीदवारों को उतारकर ‘स्वामी’ फैक्टर की काट निकालने की कोशिश की है। इसके अलावा 19 सीटों पर अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है। 

नई दिल्ली में भाजपा मुख्यालय में शनिवार को केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने प्रेस कॉन्फेंस में उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की। भाजपा ने तमाम अटकलों को गलत साबित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अयोध्या या मथुरा की बजाय उनके पुराने गढ़ गोरखपुर शहर से ही चुनाव मैदान में उतारा है। वहीं उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य सिराथू सीट से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। भाजपा ने उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को आगरा (ग्रामीण) से उम्मीदवार बनाया है। जाटव दलित समुदाय से आने वालीं मौर्य पहले भी एक बार विधानसभा चुनाव लड़ चुकी हैं। हालांकि, तब उन्हें सफलता नहीं मिली थी।

ओबीसी-दलित वोट साधने की कोशिश

भाजपा को 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में अभूतपूर्व सफलता मिली थी। पार्टी 403 विधानसभा सीटों में से 300 से अधिक पर कमल खिलाने में कामयाब रही थी। माना जाता है कि उस समय बीजेपी को ओबसी और दलित मतदाताओं का काफी साथ मिला था। लेकिन हाल ही में जिस तरह कई ओबीसी नेताओं ने भाजपा से किनारा किया, उसके बाद भगवा कैंप की चिंता बढ़ गई थी। सपा में शामिल होने के बाद शुक्रवार को स्वामी प्रसाद मौर्य ने अखिलेश यादव की मौजूदगी में चुनाव को अगड़ों और पिछड़ों की लड़ाई बताने की भरपूर कोशिश की। उन्होंने यहां तक कहा कि सरकार 85 फीसदी पिछड़े बनाते हैं और मलाई 15 फीसदी अगड़े खाते हैं। ऐसे में भाजपा ने अधिकतर सीटों पर ओबीसी-दलित उम्मीदवारों को उतारकर बड़ा दांव चल दिया है। माना जाता है कि राज्य की आबादी में करीब 45 फीसदी हिस्सेदारी ओबीसी की है। 

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