आगामी राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने बुधवार को कहा कि वह राष्ट्रपति भवन की दौड़ में अन्य दावेदार द्रौपदी मुर्मू का “बहुत सम्मान” करते हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि यह मुकाबला दो लोगों के बीच नहीं बल्कि “विपरीत विचारधारा” के बीच है। कांग्रेस द्वारा ट्विटर पर शेयर किए गए एक बयान में, सिन्हा ने मुर्मू को “चुनाव में अच्छा” प्रदर्शन करने की भी कामना की। बता दें कि यशवंत सिन्हा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) छोड़ पिछले साल मार्च में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में शामिल हुए थे।
राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने अपनी चुनावी रणनीति को लेकर बुधवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के कार्यालय में पहली बैठक की और कहा कि देश में ‘रबर-स्टाम्प राष्ट्रपति’ नहीं चाहिए। सिन्हा ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि राष्ट्रपति चुनाव व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है बल्कि देश के सामने खड़े मुद्दों की लड़ाई है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘मैं उन सभी राजनीतिक दलों का आभारी हूं जिन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में मुझे अवसर दिया। मैं खुश हूं कि इन दलों ने मुझमें विश्वास जताया है। मैं यह कहना चाहता हूं कि यह चुनाव मेरे कोई व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है। देश के सामने खड़े मुद्दों के आधार पर निर्वाचक मंडलों को फैसला करना है।’’ उनके मुताबिक, भारतीय जनता पार्टी नीत केंद्र सरकार उस रास्ते पर चल रही है जो देश के लिए अच्छा नहीं है और नौजवान पीड़ा का सामना कर रहे हैं लेकिन सरकार ने ‘अग्निपथ’ योजना लाकर ‘मजाक’ किया है। उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रपति चुनाव बहुत संवेदनशील होता है और मैं सरकार के दबाव में नहीं आऊंगा।’’
सिन्हा की चुनावी रणनीति से जुड़ी बैठक में जयराम रमेश (कांग्रेस), के. के. शास्त्री (राकांपा) और सुधींद्र कुलकर्णी शामिल हुए। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति चुनाव में अपना उम्मीदवार बनाया है। सिन्हा ने बाद में एक बयान जारी कर आरोप लगाया कि एक विचारधारा से जुड़े नेतागण संविधान का गला घोंटने पर आमादा हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इन नेताओं का मानना है कि भारत का राष्ट्रपति… बल्कि वह ऐसा रबर-स्टाम्प होना चाहिए जो सरकार के अनुसार काम करे। मुझे उस विचारधारा से जुड़ने को लेकर गर्व है जो संविधान और गणराज्य बचाने को प्रतिबद्ध है।’’ उन्होंने कहा कि अगर वह राष्ट्रपति निर्वाचित होते हैं तो भय या पक्षपात के बिना संविधान के बुनियादी मूल्यों और विचारों को अक्षुण रखेंगे।