भ्रम में न रहें कि कोरोना खत्म हो गया; टेस्ट कम होने से मरीज घटे मगर मौतों में कमी नहीं, डराते हैं ये आंकड़े

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देशभर में त्योहारी सीजन के दौरान कोविड-19 की जांचों में बड़ी गिरावट दर्ज की गई, जिसका असर यह रहा कि अब हर दिन कम नए संक्रमित मरीज मिल रहे हैं। पर हर दिन कोरोना के कारण मरने वाले संक्रमित मरीजों की संख्या में कोई कमी नहीं आयी है। उदाहरण के लिए वर्ल्डोमीटर्स के मुताबिक, देश में शनिवार को 11,680 नए मरीज मिले जबकि 393 मौतें हुईं। एक दिन में इतनी ज्यादा मौतें तब भी हो रही थीं, जब हर दिन करीब 50 हजार मरीज मिल रहे थे। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर जांचें नहीं बढ़ाई गईं तो संक्रमित मरीजों का समय रहते पता नहीं लग सकेगा जिससे स्थिति गंभीर हो सकती है।

त्योहार शुरू होते ही घट गईं कोविड टेस्टिंग

पिछले महीने अक्तूबर के दूसरे सप्ताह से हर दिन होने वाली जांचों में ढिलाई देखी जाने लगी थी। यह वक्त था देश में नवरात्र की शुरूआत का, जिसके साथ देशभर में कई छोटे-बड़े पर्व शुरू हुए, ऐसे में ज्यादा मेलजोल व भीड़ भी बढ़ी। इसे देखते हुए सरकारों को जांचें व कांटेक्ट ट्रेसिंग का काम तेज कर देना चाहिए था लेकिन इसी समय ढिलाई दिखने लगी।

अब औसतन 10 लाख जांचें ही हो रहीं

दूसरी लहर के बाद से देश में हर दिन औसतन 15 लाख से अधिक जांचें हो रही थीं, कई-कई दिन 20-20 लाख भी नमूने जांचे गए। मगर अक्तूबर आते-आते रोजाना जांचें औसतन 10 लाख ही रह गईं हैं। देश में शनिवार को भी चौबीस घंटों के भीतर मात्र 8.10 लाख नमूने ही जांचे गए। ध्यान रहे कि जितने ज्यादा सैंपलों की जांच होगी, उतने ज्यादा संक्रमित मरीजों का समय रहते पता लगाया जा सकेगा, जिससे उन्हें आइसोलेट करना आसान होगा। वरना संक्रमित लोग अपनी बीमारी से अनजान रहने के कारण अपने आसपास संक्रमण फैलाएंगे।

सरकार का दावा था, हर दिन 45 लाख जांचें होंगी

20 मई को तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा था कि सरकार का लक्ष्य है कि जून के अंत तक देश में रोजाना 45 लाख नमूनों की कोविड जांच करने की क्षमता विकसित कर ली जाएगी। उस तारीख में रिकॉर्ड 20.55 लाख कोविड जांचें की गई थीं। फिलहाल सरकार मानती है कि वह हर दिन 20 लाख से कुछ अधिक नमूनों को जांचने की क्षमता रखती है। मगर तय लक्ष्य के चार महीने गुजर जाने के बाद भी देश में हर दिन केवल दस लाख जांचें ही की जा रही हैं।

अब भी नहीं टेस्टिंग नहीं बढ़ाई तो हालात होंगे गंभीर

विश्व स्वास्थ्य संगठन के साफ निर्देश हैं कि अगर आबादी की तुलना में कम जांच की जाएगी तो इससे संक्रमित मरीज का पता लगाना मुश्किल होगा, जो साफ तौर पर संक्रमण की भयावह स्थिति के लिए निमंत्रण होगा।

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