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आटे से दही तक पर GST का विवाद, निर्मला सीतारमण ने हर बात का दिया जवाब

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दही, लस्सी, आटा, बेसन जैसे रोजमर्रा की चीजों पर जीएसटी लगाए जाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। इस माहौल के बीच अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 14 ट्वीट कर हर विवाद को शांत करने की कोशिश की है। इसके साथ ही निर्मला सीतारमण ने उन वस्तुओं की एक सूची जारी की, जिन पर खुले में बेचे जाने पर कोई जीएसटी नहीं लगेगा और न ही पहले से पैक या प्री-लेबल पर लिया जाएगा। वित्त मंत्री ने जीएसटी को लेकर गैर भाजपा शासित राज्यों की सहमति का भी जिक्र किया है। 

क्या कहा वित्त मंत्री ने: निर्मला सीतारमण ने सवाल-जवाब के अंदाज में ट्वीट किया है- क्या यह पहली बार है जब इस तरह के खाद्य पदार्थों पर टैक्स लगाया जा रहा है? नहीं, राज्य जीएसटी पूर्व व्यवस्था में खाद्यान्न से राजस्व जुटा रहे थे। अकेले पंजाब ने खरीद कर के रूप में खाद्यान्न पर 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की वसूली की। यूपी ने 700 करोड़ रुपये बटोरे।  

निर्मला सीतारमण आगे कहती हैं कि जब जीएसटी लागू किया गया था, तो ब्रांडेड अनाज, दाल, आटे पर 5% की जीएसटी दर लागू की गई थी। बाद में इसे केवल उन्हीं वस्तुओं पर टैक्स लगाने के लिए संशोधित किया गया था जो रजिस्टर्ड ब्रांड या ब्रांड के तहत बेची गई थीं। 

निर्मला सीतारमण आगे बताती हैं कि प्रतिष्ठित निर्माताओं और ब्रांड मालिकों द्वारा जल्द ही इस प्रावधान का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग देखा गया और धीरे-धीरे इन वस्तुओं से जीएसटी राजस्व में काफी गिरावट आई।

फिटमेंट कमेटी ने भी की सिफारिश: निर्मला सीतारमण के मुताबिक इसका उन आपूर्तिकर्ताओं और उद्योग संघों द्वारा विरोध किया गया जो ब्रांडेड सामानों पर टैक्स का भुगतान कर रहे थे। उन्होंने इस तरह के दुरुपयोग को रोकने के लिए सभी पैकेज्ड वस्तुओं पर समान रूप से जीएसटी लगाने के लिए सरकार को लिखा। निर्मला सीतारमण ने बताया कि फिटमेंट कमेटी ने भी कई बैठकों में इस मुद्दे की जांच की थी और दुरुपयोग को रोकने के लिए तौर-तरीकों को बदलने के लिए अपनी सिफारिशें की थीं। 

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