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ज्ञानवापीः हिंदू पक्ष के दावे को मजबूती देती है 1831 की किताब, जानें क्या लिखा है

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ज्ञानवापी और श्रृगार गौरी के मामले में गुरुवार को वाराणसी जिला अदालत में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने शिवलिंग मिलने के दावे को अफवाह बताया। मुस्लिम पक्ष ने हिंदू पक्ष की अर्जी को खारिज करने की मांग की। अब 30 मई को फिर से सुनवाई होगी। वहीं सर्वे में मिले कई निशान हिंदू पक्ष के दावे को मजबूत करते हैं। हिंदू पक्ष को एक किताब से भी काफी उम्मीद है और यह किताब 1831 में एक अंग्रेज ने लिखी थी। आखिर ब्रिटिश लेखक की उस थ्योरी में ऐसा क्या है?

‘बनारस इलस्ट्रेटेड’ नाम की यह पुस्तक पुस्तक की खूब चर्चा हो रही है। इस किताब को ब्रिटिश आर्किटेक्ट जेम्स प्रिंसेप ने लिखा था। हिंदू पक्ष का दावा है कि इस किताब में जो बातें लिखी गई हैं वे इस बात की गवाही देती हैं कि ज्ञानवापी मस्जिद से पहले वहां मंदिर था।

क्या लिखा है इस किताब में?

जेम्स एक जाने-माने मानचित्रकार थे। उन्होंने चित्रकारी और लिथोग्राफी के जरिए भी बहुत कुछ बताया है। जेम्स ने वाराणसी का सर्वे किया था और इसका रिजल्ट लिथोग्राफी के जरिए समझाया था। इस किताब में मंदिर का एक नक्शा भी बनाया या है। जेम्स ने किताब में दावा किया है कि मंदिर की दीवारों के ऊपर ही मस्जिद के मीनार और गुंबद बनाए गए।

इतिहासकार दिनेश कपूर ने कहा, इस दावे पर शक नहीं किया जा सकता क्योंकि लेखक को नहीं पता था कि इस मुद्दे को लेकर कभी लड़ाई होगी। उन्होंने कहा, किताब में साफ बताया गया था कि मंदिर के ऊपर मस्जिद थी। ज्ञानवापी की पश्चिमी दीवार को लेकर जेम्स ने किताब लिखा, ‘मुगलों ने अपने धर्म की जीत के उत्साह में अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए किसी भी मूल संरचना की आधी दीवारों को नष्ट किए बिना एक मस्जिद बनाने की ठानी। उन्होंने मूल संरचना को तोड़ते वक्त उसके आधार को नहीं मिटाया इसलिए अब भी इसकी संरचना के बारे में पता लगाया जा सकता है। गुंबद का पहला हिस्सा मंदिर का है, इसे किसी भी प्रकार के प्रिंसिपल ऑफ आर्क के तर्ज पर नहीं बनाया गया था लेकिन ऊपर की ओर एक चौकोर बहुभुज था जिसे तिरछा काटकर गोलाकार का रूप दिया गया।’

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