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राम मंदिर निर्माण में लगे आरोपों से संघ नाखुश!

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राम मंदिर निर्माण के काम में लगे ट्रस्ट पर जमीन घोटाले के आरोपों को आरएसएस ने गंभीरता से लिया है। भले ही संघ नेतृत्व की ओर से इस मसले पर सीधे तौर पर कोई टिप्पणी नहीं की गई थी, लेकिन चित्रकूट में आरएसएस की बैठक में इसका संज्ञान लिया गया है। यही नहीं राम मंदिर ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने चित्रकूट की बैठक में पहुंचकर सफाई भी दी है। उनके लैंड डील से जुड़े सारे इनपुट लिए गए हैं। इसके अलावा कुछ और लोगों से भी राम मंदिर ट्रस्ट को लेकर जानकारी ली गई है। यही नहीं संघ की ओर से साफ किया गया है कि राम मंदिर निर्माण का मामला पूरी तरह से विवादों और संदेहों से परे रहना चाहिए।

आरएसएस की ओर से पूर्व सरकार्यवाह भैया जी जोशी और कृष्ण गोपाल को राम मंदिर निर्माण की निगरानी करने की जिम्मेदारी दी गई है। इसके अलावा कुछ और बड़े बदलाव आरएसएस की ओर से किए गए हैं। इनमें से एक है, आरएसएस और बीजेपी के बीच समन्वय का काम अरुण कुमार को सौंपना। संघ के अखिल भारतीय सह-सर कार्यवाह अरुण कुमार जम्मू-कश्मीर में लंबे समय तक काम कर चुके हैं। देश में आर्टिकल 370 और 35ए के खिलाफ माहौल तैयार करने में उनकी अहम भूमिका रही है। हाल ही में उन्हें प्रमोट कर सह सरकार्यवाह का दायित्व दिया गया था

अब उन्हें बीजेपी के साथ समन्वय का काम दिया गया है, जिसका दायित्व अब तक कृष्ण गोपाल के पास था। इसके अलावा बंगाल के क्षेत्र प्रचारक प्रदीप जोशी को अखिल भारतीय सह संपर्क प्रमुख का दायित्व दिया गया है। इसके अलावा आरएसएस के कई और नेताओं को बीजेपी में भेजने की तैयारी है। संघ के सूत्रों का कहना है कि बीजेपी में कई पद खाली हैं और संगठन को कसने के लिहाज से ऐसा किया जा रहा है। बता दें कि आरएसएस की ओर से संगठन महामंत्रियों की नियुक्ति प्रांत से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी में की जाती है। इनका काम बीजेपी के संगठन के मामलों को देखने के साथ ही अपने लेवल पर संघ के साथ समन्वय स्थापित करने का भी होता है।

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