कोरोना की तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच स्वास्थ्य मंत्रालय ने बच्चों को लेकर राहत भरी जानकारी दी है। दरअसल देश में कोरोना की दूसरी लहर, पहली की अपेक्षा ज्यादा घातक साबित हुई है। इस लहर के दौरान कोरोना पॉजिटिव बच्चों की संख्या भी अधिक देखी गई। उसके बाद से ही मीडिया में तीसरी लहर और बच्चों पर पड़नेवाले असर को लेकर डरानेवाली खबरें आ रही हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को बच्चों में कोरोनोवायरस बीमारी के डर की इन्हीं आशंकाओं को दूर करने के लिए एक प्रेस रिलीज जारी की है। रिलीज में कहा गया है कि बच्चों में कोविड -19 अक्सर बिना लक्षण के होता है और उन्हें शायद ही कभी अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है।
रिलीज में नीति आयोग के सदस्य और डॉ. वी. के. पॉल के हवाले से बताया गया है कि कोविड पॉजिटिव बच्चों को शायद ही कभी अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है। वहीं एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने भी कहा कि स्वस्थ बच्चे कोरोना के संक्रमण से जल्दी ठीक हो जाते हैं। उन्हें हल्की बीमारी होती है, और बच्चों का शरीर बिना अस्पताल में भर्ती हुए भी ठीक होने की क्षमता रखता है।
वहीं COVID-I9 वर्किंग ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. एन. के. अरोड़ा ने कहा कि 2 से 15 साल की उम्र के बच्चों पर कोवैक्सिन टेस्ट शुरू किया गया है। जायडस कैडिला वैक्सीन का ट्रायल लगभग पूरा हो चुका है और, जुलाई के अंत तक या अगस्त में हम 12 से 18 साल के बच्चों को यह वैक्सीन देना शुरू कर सकते हैं। साथ ही, फाइजर वैक्सीन के भी जल्द ही मंजूरी मिलने की संभावना है। मंजूरी मिलने पर बच्चों के लिए एक और विकल्प उपलब्ध हो सकता है।