पैगंबर मोहम्मद को लेकर बीजेपी के दो पूर्व नेताओं की टिप्पणियों पर अब जाने माने अभिनेता नसीरुद्दीन शाह की प्रतिक्रिया सामने आई है। नसीरुद्दीन शाह ने बुधवार को उम्मीद जताई कि एक दिन लोगों में अच्छी समझ कायम होगी और मुसलमानों के खिलाफ ‘घृणा की लहर’ नष्ट हो जाएगी। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप करने और इसे रोकने का आग्रह किया।
कई बार राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुके शाह ने एक समाचार चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘मैं उनसे (प्रधानमंत्री से) अनुरोध करूंगा कि वे इन लोगों को थोड़ी अच्छी समझ दें। ऋषिकेश में धर्म संसद में जो कहा गया, यदि वह उसमें भरोसा करते हैं, तो उन्हें ऐसा कहना चाहिए। यदि वह इसमें भरोसा नहीं करते, तो भी उन्हें यह बात कहनी चाहिए।’
बीजेपी ने पैगंबर के खिलाफ विवादित टिप्पणियां करने को लेकर अपनी राष्ट्रीय प्रवक्ता नुपुर शर्मा को रविवार को निलंबित कर दिया था और अपनी दिल्ली इकाई के मीडिया प्रमुख नवीन कुमार जिंदल को निष्कासित कर दिया था। शाह ने एक निजी चैनल से कहा, ‘भारत सरकार ने जो कार्रवाई की, बहुत कम और बहुत देर से की।’
ऐसे देशों में इस प्रकार के बयान का मतलब मौत की सजा
उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान, बांग्लादेश या अफगानिस्तान, जिन्हें हम एक दिन ‘अखंड भारत’ में शामिल करने की उम्मीद रखते हैं, ऐसे देशों में इस प्रकार के बयान का मतलब मौत की सजा होगा, क्योंकि इन्हें ईशनिंदा समझा जाएगा। यहां शीर्ष पर बैठे लोगों ने कुछ नहीं बोला और आस्था रखने वाले लाखों लोगों को हुई पीड़ा की बात किसी ने नहीं कही।’ पार्टी की ओर से निलंबित किए जान के बाद नूपुर शर्मा ने मांफी मांगी, जिसे नसीरुद्दीन शाह ने पाखंड बताया।
जॉर्ज ऑरवेल के उपन्यास का उदाहरण
उन्होंने कहा, जॉर्ज ऑरवेल ने अपने उपन्यास 1984 में दोहरी सोच को ‘एक दिमाग में दो परस्पर विरोधाभासी विचार बनाए रखने और दोनों पर एक साथ विश्वास करने” के रूप में परिभाषित किया है। शाह ने कहा कि शर्मा कोई ‘हाशिए का तत्व’ नहीं हैं, जैसा कि भाजपा ने दावा किया है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि समझदार हिंदू मुस्लिम समुदाय के खिलाफ घृणा के विरुद्ध बोलें। उन्होंने कहा कि वह ‘घृणा का प्रचार’ के लिए टीवी समाचार चैनलों और सोशल मीडिया को पूरी तरह जिम्मेदार ठहराते हैं।