आंदोलन वापसी में क्या है देरी, किन मुद्दों पर फंसा है पेच; किसान नेता ने डिटेल में बताया

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केंद्र सरकार की तरफ से तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद से ही किसान आंदोलन के खत्म होने की भूमिका शुरू हो गई थी। हालांकि, किसानों ने पहले यह कहा कि जब तक संसद के रास्ते कानून वापसी नहीं होती उनका आंदोलन जारी रहेगा। अब, संसद में भी इन कानूनों की वापसी हो चुकी है लेकिन कुछ मुद्दों पर अभी भी केंद्र और किसानों के बीच पेच फंसा है, जिसकी वजह से आंदोलन खत्म नहीं हुआ है। किसानों की ओर से बनाई पांच सदस्यीय कमेटी के मेंबर अशोक धावले ने बताया कि मुआवजे, किसानों पर दर्ज केस वापस लेने और एमएसपी ऐसे मुद्दे हैं, जिनकी वजह से आंदोलन खत्म करने में देरी हो रही है।

सरकार की तरफ से बातचीत की पहल करने को लेकर धावले ने केंद्री की सराहना भी की। उन्होंने कहा, ‘सरकार ने बातचीत को तैयार है और अब लिखित में सबकुछ दे रही है, इसकी हम सराहना करते हैं लेकिन उनके प्रस्ताव में कई कमियां हैं। इसलिए कल रात, हमने कुछ बदलावों के साथ यह प्रस्ताव उन्हें वापस भेजा और अब उनके जवाब का इंतजार कर रहे हैं।’

अशोक धावले ने कहा, ‘सैद्धांतिक रूप से मुआवजे को मंजूगी दे दी गई है, लेकिन हमें पंजाब मॉडल जैसा कुछ ठोस चाहिए। उन्होंने बिजली बिल को वापस लेने का भी वादा किया था, लेकिन अब वे सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ इस पर चर्चा करना चाहते हैं और फिर इसे संसद में रखना चाहते हैं। यह विरोधाभासी है।’

उन्होंने आगे कहा, ‘एमएसपी पर एक कमेटी के गठन की जरूरत है, जिसमें किसान संगठनों के नेता भी शामिल हों। सरकार ने यह भी कहा था कि एक बार आंदोलन वापस ले लें तो किसानों के खिलाफ दर्ज कानूनी केस वापस ले लिए जाएंगे, जो कि गलत है। हमें भी यहां ठंड में बैठना पसंद नहीं।’

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