चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर के बिहार में अपनी पार्टी शुरू करने के फैसले से राजनीतिक पंडितों को खास हैरानी नहीं हुई है। वह पिछले काफी समय से अपने गृह नगर को लेकर विचार कर रहे थे। यह घोषणा ऐसे समय में हुई है जब बिहार में राजनीतिक घटनाक्रम तेज हैं। मालूम हो कि किशोर सासाराम में पैदा हुए थे।
किशोर ने ‘जन स्वराज’ की घोषणा ऐसे समय में की है जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर अस्तित्व के t दिखता है। इसे लेकर राज्य के भाजपा नेताओं और कुछ मंत्रियों में नाराजगी है।
बिहार में AAP बनने की कोशिश कर रहे PK
भाजपा के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “प्रशांत किशोर बिहार में AAP बनने की कोशिश कर रहे हैं। वह जानते हैं कि लोग कुछ विकल्प चाहते हैं। जनता दल में 35% वोटशेयर है जबकि नीतीश कुमार के पास 15% और शेष 15% कांग्रेस और वामपंथी पार्टियों जैसे अन्य दलों के पास है। बिहार में सत्ता में रहने के लिए दो समूहों का एक साथ होना जरूरी है। 2015 में नीतीश और राजद एक साथ आए थे और अब यहां दो अन्य एक साथ हैं। जब तक कोई दूसरा विकल्प न हो, वे साथ रहेंगे।”
किशोर को गंभीरता से ले रही BJP
भाजपा किशोर को गंभीरता से ले रही है। बीजेपी लीडर ने कहा कि किशोर ब्राह्मण नेता होने के नाते उनके वोटों को काट सकते हैं। चूंकि आम आदमी पार्टी पंजाब में स्थापित पार्टियों को हराने में सफल रही थी, ऐसे में बिहार में भी ऐसे ही हालात पैदा होंगे, इस पर भी सवाल उठ रहे हैं। किशोर ने इस साल की शुरुआत में नीतीश कुमार से मुलाकात की थी। यह स्पष्ट है कि दोनों के बीच एक खुला चैनल है। इसे नकारा नहीं जा सकता है।