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राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल क्यों हैं एक-दूसरे पर हमलावर

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आम आदमी पार्टी ने साल 2022 में पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को हराकर अपनी सरकार बनाई थी.

आप ने न केवल दिल्ली और पंजाब में बल्कि गुजरात में भी कांग्रेस को बड़ा नुक़सान पहुंचाया है. साल 2017 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को राज्य में क़रीब 43 फ़ीसदी वोट और 77 सीटें मिली थीं.

जबकि साल 2022 में हुए गुजरात विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को महज़ 28 फ़ीसदी वोट और 17 सीटें ही मिलीं थीं. उन चुनावों में आप को क़रीब 13 फ़ीसदी वोट के साथ 5 सीटें मिली थीं.

आम आदमी पार्टी ने गुजरात में बीजेपी विरोधी वोटों में जो सेंध लगाई उसका सीधा लाभ बीजेपी को मिला.

प्रमोद जोशी का कहना है कि राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल के बीच ज़ुबानी हमले बीजेपी विरोधी वोटों के लिए हैं, क्योंकि ज़ाहिर है बीजेपी के वोटर इनके पास नहीं आएंगे.

प्रमोद जोशी कहते हैं, “राहुल गांधी ने सीलमपुर में पिछड़े, दलित और मुसलमानों की बात भी की है. राष्ट्रीय स्तर पर मुसलमानों ने कांग्रेस के प्रति अपना झुकाव दिखाया है और अगर यही दिल्ली में हो जाएगा तो नतीजों में बहुत बड़ा फर्क आ जाएगा.”

“मैं यह नहीं कहता कि इससे कांग्रेस दिल्ली में अपनी सरकार बना लेगी, लेकिन आम आदमी पार्टी के वोट कटे तो इसका नतीजों पर बड़ा असर होगा.”

रशीद किदवई केजरीवाल और राहुल गांधी के बीच के इस संबंध को अलग नज़रिए से देखते हैं.

उनका कहना है कि केजरीवाल महत्वाकांक्षी नेता हैं और कई सर्वे में यह दिखा है कि केंद्र के स्तर पर वो राहुल गांधी के बाद दूसरे सबसे लोकप्रिय नेता हैं.

“ममता बनर्जी, अखिलेश यादव या स्टालिन जैसे नेता अपने क्षेत्र तक सीमित हैं और साल 2029 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी के लिए केजरीवाल भी ख़तरा हैं, हो सकता है कि वो इन नेताओं के साथ मिलकर एक नया गठबंधन भी बना लें.”

“केजरीवाल कांग्रेस के ख़िलाफ़ अपनी राजनीति में दिल्ली ही नहीं, पंजाब में भी कांग्रेस से सत्ता छीन चुके हैं. गोवा और गुजरात में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है और इसका नुक़सान कांग्रेस को हुआ है.”

इस लिहाज़ से केजरीवाल के लिए दिल्ली में अपनी सत्ता बचाकर रखना ज़रूरी है, जो उनकी राजनीति का केंद्र है.

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