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कन्हैया की गिरफ्तारी में चुस्त पुलिस धमकी पर क्यों थी सुस्त? 15 जून को हुई सबसे बड़ी गलती

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राजस्थान के उदयपुर में टेलर कन्हैयालाल की निर्मम हत्या ने पूरे देश को सन्न कर दिया है। नूपुर शर्मा के समर्थन में एक पोस्ट की वजह से कट्टरपंथियों ने इस्लामिक स्टेट के आतंकियों की तर्ज पर कन्हैया की गर्दन काट डाली। कन्हैया के मर्डर पर राजस्थान पुलिस भी सवालों के घेरे में आ गई है। खुद गहलोत सरकार भी पुलिस महकमे से चूक को स्वीकार कर रही है। लेकिन अभी सिर्फ एएसआई को सस्पेंड किया गया है।

कन्हैया को गिरफ्तार करने में तो चुस्त थी पुलिस 

दरअसल नूपुर शर्मा को लेकर कन्हैयालाल के फोन से गलती से हुई पोस्ट को लेकर कुछ लोगों ने थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। इस शिकायत पर त्वरित ऐक्शन लेते हुए उदयपुर पुलिस ने कन्हैयालाल को गिरफ्तार कर लिया। हालांकि, बाद में उसे कोर्ट से जमानत मिल गई।

फिर क्यों सुस्त हुई पुलिस

जमानत मिलने के बाद कन्हैया को कट्टरपंथियों से धमकियां मिलने लगीं। उसे अलग-अलग नंबरों से फोन और मैसेज के जरिए जान से मारने की धमकी दी जाने लगी। खुद की जान पर खतरे को देखते हुए कन्हैया 15 जून को उसी थाने में शिकायत और गुहार लेकर पहुंचा, जहां की पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था। उसने धमकियों की जानकारी देते हुए अपनी जान की रक्षा की गुहार लगाते हुए सुरक्षा की मांग की।

पुलिस ने कर दी गलती

कन्हैया को गिरफ्तार करने में देर ना करने वाली पुलिस ने धमकी देने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने या गिरफ्तारी की कोई जरूरत नहीं समझी। कार्रवाई के नाम पर सिर्फ इतना किया कि कुछ लोगों को थाने में बुलाकर समझा-बुझा दिया और शांति-मेल मिलाप से रहने का उपदेश देकर घर भेज दिया। पुलिस मामले की संवेदनशीलता क्यों नहीं समझ पाई? सिर कलम करने की धमकी को इतने हल्के में क्यों लिया गया? क्यों नहीं समय रहते आरोपियों को गिरफ्तार किया गया? राजस्थान पुलिस पर हर कोई इस तरह के सवाल उठा रहा है और कहा जा रहा है कि पुलिस ने यदि धमकी देने वालों को गिरफ्तार कर लिया होता तो आज शायद कन्हैयालाल जिंदा होता।

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