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महाराष्ट्र में ईडी ने इन कंपनियों की कार्रवाई कर 166 करोड़ संपत्ति की जब्त

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ईडी ने बृहस्पतिवार को मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में 166 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच करने की जानकारी दी। यह मामला महाराष्ट्र की वरुण ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज के करीब 293 करोड़ रुपये के बैंक कर्ज घोटाले की जांच से जुड़ा है। मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत पुणे, मुंबई और रत्नागिरी जिले में अटैच की गई इन संपत्तियों की कीमत करीब 166 करोड़ रुपये है।

वरुण ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज पर बैंकों की तरफ से फर्जी बिलों के आधार पर जारी डिस्काउंटिंग लैटर ऑफ क्रेडिट (एलसी) के जरिये 300 करोड़ रुपये का कर्ज लेकर फर्जी कंपनियों के जरिये गायब करने का आरोप है। ईडी ने इस मामले में सीबीआई की चार्जशीट के आधार पर मुकदमा दर्ज किया था और कंपनी के दिवंगत निदेशक श्रीकांत पांडुरंग व बैंक ऑफ इंडिया और केनरा बैंक के अज्ञात अधिकारियों को आरोपी बनाया था। ईडी का कहना है कि जांच में पाया गया कि पूरी साजिश वरुण एल्युमीनियम प्राइवेट लिमिटेड (वीएपीएल) के निदेशक एसपी सवाईकर ने रची थी, जो मामले में मुख्य आरोपी है। बैंक ऑफ इंडिया को केनरा बैंक की डेक्कन जिमखाना शाखा से जारी एलसी के समर्थन वाले 246 फर्जी बिलों के जरिये 300 करोड़ रुपये का धोखा दिया गया।

बीओआई ने प्रक्रिया पूरी करने के बाद अपना शुल्क काटकर करीब 293 करोड़ रुपये की रकम वीएपीएल के खाते में भेजी। लेकिन तय तिथि पर केनरा बैंक ने इस तरह की कोई भी एलसी जारी करने से इनकार कर दिया। इससे बैंक ऑफ इंडिया को 293 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा। जांच में पाया गया कि यह रकम विभिन्न फर्जी कंपनियों में ट्रांसफर करते हुए गायब कर दी गई। जांच में पाया गया कि ज्यादातर रकम का इस्तेमाल आवासीय फ्लैट व जमीन खरीदने में करने के अलावा कुछ हिस्सा वीएपीएल और उसकी सहयोगी कंपनियां वरुण ऑटो कॉम्प प्राइवेट लिमिटेड व वरुण इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड में निवेश किया गया था।

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