गरीबों और जरूरतमंदों के मसीहा डॉ. विक्रांत जायसवाल को “सर्विस टू रूरल पीपल” पुरस्कार से सम्मानित

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डॉ. विक्रांत एस.जायसवाल ने डेंटल क्षेत्र में बीडीएस, एमडीएस ऑर्थोडॉन्टिक्स किया है और डेंटल इम्प्लांट में भी फेलोशिप की है। डॉ. विक्रांत ने बीड बाई पास के निराला बाजार और एपीआई कॉर्नर, छ.सम्भाजीनगर में 12 साल से डेंटल प्रैक्टिस कर रहे हैं. हमेशा गरीबों की मदद करते हैं और जरूरतमंद लोगों को मदद करने का विचार हमेशा मन में रखते हैं. जिस कॉलेज में उन्होंने पढ़ाई की उस कॉलेज के आदर्श वाक्य “ग्रामीण लोगों की सेवा” से प्रेरित थे “प्रवर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस”. कोरोना काल के दौरान उनको एहसास हुआ कि ग्रामीण इलाकों में लोग दंत रोग के प्रति बहुत लापरवाह हैं, नियमित दंत रोग को डॉक्टर को नहीं दिखाते हैं और इस वजह से कभी-कभी उन्हें कैंसर का सामना करना पड़ता है। कैंसर के बारे में जागरूकता को ध्यान में रखते हुए, उन्होंने 4.5 साल से भाजी मंडी, बीडकिन में हर दिन 5 घंटे दंत चिकित्सा सेवाएं प्रदान कीं और गाँव में दंत रोगों के बारे में जागरूकता पैदा की। जागरूकता आई। वे नियमित रूप से दांतों की जांच कर रहे थे। इस संबंध में डॉ. विक्रांत को गांव में कई बार सम्मानित किया गया।

विभिन्न प्रकार की जटिलताओं के कारण रोगियों के लिए दंत उपचार कराना कठिन हो जाता है। डॉ. विक्रांत का कहना हैं मेरे मरीज़ों में ऐसे लोग शामिल हैं जिनके पास इलाज के लिए पैसे नहीं हैं, एकल माता-पिता, बिना परिवार वाले लोग। वे दांत निकालने और अन्य उपचारों के लिए 7-8 किलोमीटर पैदल चलते थे।

ग्रामीण क्षेत्रों में यह दंत चिकित्सा सेवा प्रदान करने के लिए डॉ. विक्रांत जयसवाल को डॉ. आर. विखे पाटिल (चांसलर प्रवरा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस) जी के हस्ते सम्मान चिन्ह और शॉल-श्रीफळ देकर “सर्विस टू रूरल पीपल” पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम में ऑर्थोडॉन्टिक्स विभाग के प्राचार्य डॉ.एन.जी.तोश्नीवाल, डॉ. शुभांगी मणि उपस्थित थे। डॉ. विक्रांत जी ने अपने माता-पिता, पत्नी डॉ. राजेश्वरी, उनकी बेहेन (दंतचिकित्सक) सबकी आभार व्यक्त किये और कहा की उनके हेल्प के बगैर में ये पूरा नहीं हो सकता।

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