काठमांडू, 11 दिसंबर । प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की हालिया चीन यात्रा के दौरान बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के साथ-साथ एक और समझौता होने का खुलासा हुआ है जिसे सरकार ने अब तक छिपा कर रखा हुआ था। नेपाल और चीन के बीच ट्रांस हिमालयन मल्टी डायमेंशनल कनेक्टिविटी नेटवर्क (टीएचएमडीसीएन) के तहत वर्ष 2025-2029 के लिए विकास योजना नामक नए समझौते पर हस्ताक्षर किया गया था।
नेपाल के वित्त मंत्रालय और चीन अंतरराष्ट्रीय विकास सहयोग एजेंसी के बीच हस्ताक्षरित नए समझौते के दस्तावेज को नेपाल सरकार ने गुप्त रखा है लेकिन चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी ने इसका खुलासा कर दिया। चीन की तरफ से किए गए खुलासे के बाद नेपाल सरकार कोई प्रतिक्रया देने से मना कर रही है।
नेपाल के वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता महेश भट्टराई ने सिर्फ इतना बताया कि मंत्रालय बीजिंग में हस्ताक्षरित “विकास योजना” के दस्तावेज से पूरी तरह से अवगत नहीं है और अगर इस तरह का कुछ समझौता हुआ है तो विदेश मंत्रालय से विवरण मिलने की प्रतीक्षा कर रहा है।
मंगलवार को विदेश मंत्रालय ने पिछले सप्ताह बीजिंग में नेपाल और चीन के बीच हस्ताक्षरित बेल्ट एंड रोड इनिसिएटिव सहयोग के लिए हुए समझौता से जुड़े दस्तावेज जारी किए। लेकिन विकास योजना (2025-2029) पर वित्त मंत्रालय, नेपाल और चीन अंतरराष्ट्रीय विकास सहयोग एजेंसी के बीच समझौता ज्ञापन जारी किया जाना बाकी है।
वैसे तो नेपाल और चीन के बीच हुए हर उच्च स्तरीय भ्रमण के बाद जारी वक्तव्य में ट्रांस हिमालयन मल्टी डाइमेंशनल कनेक्टिविटी की बात रहती थी लेकिन यह पहली बार है जब दोनों देशों के बीच इस विषय को लेकर लिखित समझौता हुआ है। हालांकि चीन सरकार ने इस योजना को लागू करने के लिए अगले चार वर्षों के लिए नेपाल को प्रदान की जाने वाली राशि का उल्लेख नहीं किया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता कृष्णा प्रसाद ढकाल ने माना कि प्रधानमंत्री ओली के भ्रमण के दौरान अगले चार वर्षों के लिए विभिन्न विकास योजनाओं के सहयोग के कुछ क्षेत्रों की पहचान करने के अलावा अभी तक किसी और विवरण पर चर्चा नहीं की गई है। प्रवक्ता ढकाल ने चीन के साथ विकास योजनाओं पर अलग से किसी तरह के समझौते होने से ना तो इनकार किया ना ही स्वीकार किया। उन्होंने बस इतना कहा कि यह विकास योजना बीआरआई समझौते से कुछ अलग है। यह अगले चार वर्षों के लिए चीनी सहयोग के क्षेत्रों को रेखांकित करता है। हम इसके तहत लागू की जाने वाली विशिष्ट परियोजनाओं की पहचान करेंगे।