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अमेरिकी इतिहास की सबसे महंगी त्रासदी है लॉस एंजिल्स की आग

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दक्षिणी कैलिफोर्निया में स्थित लॉस एंजिल्स शहर देश की फिल्म और टेलीविजन उद्योग का केंद्र है. इस इलाके में फैली आग से अबतक 16 लोगों की मौत हुई है, लेकिन अमेरिका के तमाम अखबारों और वेबसाइटों को खंगालने पर पता चलता है कि ये आंकड़ा शुरुआती ही है. कई लोग लापता हैं. करीब 2 लाख लोगों को इस भयानक आग के चलते विस्थापित होना पड़ा है. वहीं, डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों को किसी भी वक्त घर छोड़ने के लिए अलर्ट मोड पर रहने के लिए कहा गया है.

अमेरिका की तमाम एजेंसियों के आंकड़ों के मुताबिक, लॉस एंजिल्स में लगी आग अमेरिका के इतिहास की सबसे खतरनाक और महंगी आग हो सकती है. रिपोर्ट के अनुसार, इस आग के चलते 135 बिलियन डॉलर से 150 बिलियन डॉलर (11 से करीब 13 लाख करोड़) तक का नुकसान हो सकता है. वहीं, खाक हुई संपत्तियों में 8 बिलियन डॉलर की संपत्ति ऐसी है जो बीमा के दायरे में आ सकती है.

अगर इस नुकसान को भारत के संदर्भ में समझें तो यह यूपी-बिहार, मध्य प्रदेश और दिल्ली के बजट के बराबर है. दरअसल, यूपी का बजट 7 लाख करोड़ रुपये का है, वहीं बिहार का कुल बजट करीब 3 लाख करोड़ रुपये का है, वहीं मध्य प्रदेश का बजट भी 3 लाख करोड़ से ज्यादा का था. राजधानी दिल्ली का साल 2024 का बजट करीब 76 हजार करोड़ रुपये का था. इन राज्यों के बजट को मिला लिया जाए तो इतने नुकसान की उम्मीद लॉस एंजिल्स की आग में अमेरिका को होने की उम्मीद है.

लॉस एंजिल्स का पैलिसेड्स इलाका इस आग से सबसे ज्यादा प्रभावित बताया जा रहा है. इस इलाके ने ऐसी तबाही कभी नहीं देखी थी. यहां मंगलवार को आग ने अपने पांव पसारने शुरू किए थे. इस इलाके की करीब 21 हजार एकड़ जमीन पर आग का कहर देखने को मिला है. इसमें पॉश माना जाने वाला पेसिफिक पैलिसेड्स का इलाका भी शामिल था. मौजूदा हालात की बात करें तो प्रभावित इलाके की करीब 15 फीसदी आग को ही अबतक बुझाया जा सका है.

हालांकि, इतनी बड़ी आग कैसे लगी, इसको लेकर जांच जारी है. लेकिन अमेरिका की तमाम रिपोर्ट्स से जो पता चलता है कि इसके पीछे तेज हवाओं और सूखे मौसम को जिम्मेदार माना जा रहा है. वहीं, कुछ एक्सपर्ट इस भयानक आग के लिए जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार मान रहे हैं. उनका तर्क है कि इलाके में बढ़ती गर्मी, लंबे समय तक सूखा और शुष्क वायुमंडल सहित जलवायु परिवर्तन जंगलों में आग के खतरे की प्रमुख वजह हैं.

हाल के महीनों में मौसम का बहुत ज्यादा गर्म रहना और बारिश की कमी की वजह से कैलिफोर्निया खासतौर पर असुरक्षित है. अमेरिका में दक्षिणी कैलिफोर्निया में आग लगने का मौसम आमतौर पर मई से अक्टूबर तक माना जाता है. लेकिन राज्य के गवर्नर गैविन न्यूसम ने पहले ही बताया है कि आग लगना पूरे साल की एक समस्या बन गई. एक आकलन के अनुसार 1990 के बाद से दुनिया में 42 लाख वर्ग किलोमीटर जमीन से जंगल खत्म हो गए हैं. इसमें अधिकतर अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया के हिस्से हैं. वहीं, कैलिफोर्निया में भी जंगल के इलाकों को खूब काटा गया है और वहां लोगों को बसाया गया है. इसने भी इस समस्या को खूब बढ़ाया है.

इतने बड़े पैमाने पर आग भड़कने के लिए सेंटा ऐना हवाओं को भी जिम्मेदार माना जा रहा है. ये हवाएं जमीन से समुद्र तट की ओर बढ़ती हैं. सेंटा ऐना हवाएं तब चलती हैं जब ग्रेट बेसिन पर उच्च दबाव बनता है और कैलिफोर्निया के तट पर दबाव कम होता है. आम तौर पर इनकी रफ्तार 95-135 किलोमीटर प्रति घंटा होती है लेकिन कभी-कभी यह 165 किमी प्रति घंटे से भी अधिक हो जाती है. ये हवाएं साल में कई बार बहती हैं. लेकिन जब ये हवाएं जंगल की आग के साथ मिलती हैं, तो भारी तबाही होती है.

वैसे तो दक्षिणी कैलिफोर्निया में मई से अक्तूबर के बीच जंगल में आग लगने की घटनाएं सामने आती रहती हैं. लेकिन इस बार इतने बड़े पैमाने पर भड़की आग ने कई सवाल भी खड़े किए हैं. सवाल ये भी उठ रहे हैं कि क्या लॉस एंजिल्स में इतनी बड़ी आग से निपटने के लिए तैयारी थी? दरअसल, कई रिपोर्ट्स सामने आई जिसमें कहा गया कि फायर फाइटर्स के पास आग बुझाने के लिए पानी की कमी थी. ट्रंप ने इसको लेकर मौजूदा सरकार पर निशाना भी साधा.

ऊंचाई वाले इलाकों में कोई खास तैयारी नहीं दिखी. लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने के दौरान भी कई तरह की कमियां देखने को मिली, जिसको लेकर वहां सवाल उठ रहे हैं. वहीं, लॉस एंजिल्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कई एक्सपर्ट्स ने पहले ही चेतावनी दी थी कि कभी भी इस इलाके में आपदा आ सकती है लेकिन इसपर ध्यान नहीं दिया गया. वहीं, इस इलाके में रहने वाले लोगों को आग से बचने के लिए ट्रेनिंग भी मुहैया कराई जाती है. लेकिन जानकारी के अनुसार, वहां के लोगों ने इसे संजीदगी से नहीं लिया.

अमेरिका के मोंटाना इलाके में साल 1910 में एक बड़ी आग लगी थी. इसका असर करीब 30 लाख एकड़ जमीन पर देखने को मिला था. इसमें 87 लोगों की जान गई थी. वहीं, इससे पहले 1898 में नार्थ कैरोलिना और साउथ कैरोलिना में भी आग भड़की थी, जिसने 3 लाख एकड़ जमीन को अपने प्रभाव में लिया था. साल 2004 में अलस्का में आगल  लगी थी, जिसने इलाके की करीब 13 लाख एकड़ जमीन को अपनी जद में लिया था. 1940 में ही अलस्का में लगी आग ने 12 लाख एकड़ जमीन को खाक किया था. इसे रबी फायर के नाम से जानते हैं.

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