महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक ने बॉम्बे हाई कोर्ट से कहा कि उन्होंने समीर वानखेड़े के खिलाफ इसलिए आवाज उठाई क्योंकि जनता को जानने का हक है कि वो (वानखेड़े) दोहरी जिंदगी जी रहे हैं। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) नेता ने दो दिन पहले दायर हलफनामे में कहा कि वह चाहते हैं कि लोगों को पता चले कि नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) के जोनल निदेशक वानखेड़ ‘हिन्दू और मुसलमान’ के रूप में ‘दोहरी जिंदगी’ जी रहे हैं।
मलिक ने हाई कोर्ट से कहा है कि उन्होंने समीर वानखेड़े के खिलाफ इसलिए बोला क्योंकि जनता को जानने का हक है कि एससीबी अधिकारी ने किस प्रकार अपनी जाति के बारे में झूठ बोलकर यह नौकरी हासिल की। हलफनामे में कहा गया है, ‘मेरी ओर से प्रकाशित दस्तावेज दिखाते हैं कि कैसे गैरकानूनी तरीके से समीर वानखेड़े ने यह नौकरी पाई और अपना कर्तव्य निभाते हुए किस प्रकार के गलत कार्य किए हैं।’ हलफनामे में आगे कहा गया है, ‘इसलिए जनता को इससे जुड़ी सच्चाई जानने का अधिकार है।’
मलिक ने समीर वानखेड़े के पिता ज्ञानदेव की ओर से उनके खिलाफ दायर मानहानि के मुकदमे के जवाब में हलफनामा दायर किया है। मलिक ने नवंबर में समीर वानखेड़े के खिलाफ कई ट्वीट किए थे, जिनमें तमाम आरोपों के साथ यह भी कहा था कि वानखेड़े जन्म से मुसलमान हैं और उन्होंने केन्द्र सरकार में नौकरी पाने के लिए खुद को अनुसूचित जाति का बताया और फर्जी जाति प्रमाणपत्र जमा किया।
इसके बाद ज्ञानदेव ने मलिक के खिलाफ मुकदमा दायर किया। ज्ञानदेव ने मलिक के आरोपों से इनकार किया है और दावा किया कि राकांपा नेता उन्हें और उनके परिवार को निशाना बना रहे हैं क्योंकि मादक पदार्थों से जुड़े एक मामले में समीर वानखेड़े के नेतृत्व वाली एक टीम ने मंत्री के दामाद को गिरफ्तार किया है।