यूपी चुनाव में शाह फिर कर पाएंगे वो कमाल, जब ‘चाणक्य’ बन 2014 में लिखी थी जीत की पटकथा; जानें कैसे ?

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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने पुराने चाणक्य अंदाज में सांगठनिक फीडबैक और टिकट बंटवारे को लेकर पार्टी के मंथन की कमान संभाल ली है। अमित शाह ने दिन में रैलियां करने और रात में सभाएं करने की अपनी पुरानी रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। वह रात्रि विश्राम करेंगे और बैठकें करेंगे, जैसा कि उन्होंने काशी, अवध और रोहिलखंड क्षेत्रों में किया था।

यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा संगठन को मजबूत करने और टिकट बंटवारे को लेकर शुरुआती मंथन में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। पार्टी के शीर्ष नेता जहां यात्रा और जनसभाओं में लगे हुए हैं, वहीं पूर्व में भी यूपी के लिए चाणक्य की भूमिका निभा चुके अमित शाह ने यह पूरी जिम्मेदारी ली है। अमित शाह रैलियों और रात की बैठकों के जरिए न सिर्फ सांगठनिक तैयारियों को अंतिम रूप दे रहे हैं बल्कि अपने पुराने अंदाज में टिकटों पर मंथन भी कर रहे हैं।

मंगलवार को हरदोई और सुल्तानपुर में जनसभाओं में विपक्ष पर हमला करने के बाद अमित शाह काशी पहुंचे और रात में संगठनात्मक बैठक की। बैठक अमित शाह के पुराने अंदाज की ओर इशारा करती है, जो चुनाव प्रबंधन में माहिर माने जाते हैं। यूपी चुनाव से पहले रात की बैठकें भी टिकट वितरण और अंतिम प्रतिक्रिया के प्रति अमित शाह की बढ़ती दिलचस्पी का स्पष्ट संकेत दे रही हैं।

गुरुवार को मुरादाबाद समेत तीन जगहों पर जनसभा

28 दिसंबर को जन विश्वास यात्रा के बाद अमित शाह रात भर काशी में रुके थे। दिन भर की यात्रा और रैलियों के बाद रात में फीडबैक और टिकट को लेकर भी काफी चर्चा हुई। सूत्रों के मुताबिक, बैठक में सांसदों और विधायकों के अलावा मंत्री, क्षेत्रीय पदाधिकारी भी शामिल हुए। काशी में रात्रि प्रवास के बाद 30 दिसंबर को अमित शाह मुरादाबाद, अलीगढ़ और उन्नाव में जनसभा करेंगे। रात्रि विश्राम लखनऊ में करेंगे। 31 दिसंबर को अयोध्या, संत कबीरनगर और गोरखपुर में जनसभाओं के बाद वे बरेली पहुंचेंगे, जहां वे रात्रि विश्राम करेंगे।

भाजपा के पास तैयारी का सबसे अहम समय

राजनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक, यह चुनावी तैयारी नहीं बल्कि चुनाव पूर्व बैठक है। जाहिर है इसमें टिकट को लेकर मंथन भी शामिल है। इसलिए इसमें अमित शाह का होना जरूरी है। यूपी में सरकार हर बार बदल रही है। यह पहली बार है जब कोई पार्टी सत्ता में वापस आने की कोशिश कर रही है। अमित शाह के पास उस तरह का अनुभव है जो इसके लिए जरूरी है। दरअसल, भाजपा के लिए तैयारी के लिहाज से यह सबसे अहम समय है।

2017 में काम आया 2014 का किया काम

यूपी में भाजपा का निर्वासन 2017 के विधानसभा चुनाव में खत्म हुआ। इस बार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष होते हुए भी अमित शाह ने पूरे अभियान की रूपरेखा खुद तय की। अमित शाह अब तक पूरे उत्तर प्रदेश की जमीनी हकीकत को समझ चुके थे। यूपी प्रभारी के रूप में अमित शाह का अनुभव काम आया। इस बार भी अमित शाह ने छोटी-छोटी जगहों का दौरा किया। लखनऊ में, अमित शाह ने तैयारियों को अंतिम रूप देने के लिए भाजपा प्रदेश पार्टी कार्यालय में अपने प्रवास के दौरान मध्यरात्रि तक बैठकें कीं। यूपी भाजपा महासचिव सुनील बंसल की भी अमित शाह के चुनाव अभियान और प्रबंधन को यूपी में संगठन के जमीनी स्तर तक ले जाने की अहम जिम्मेदारी थी। हालांकि राजनीतिक विशेषज्ञ कहते हैं कि इस बार चुनौती कुछ और है। बड़ी संख्या में टिकटों से इनकार किया जा सकता है। ऐसे में टिकटों पर फैसला लेने से पहले अंतिम फीडबैक बहुत जरूरी है।

भाजपा की छह जन विश्वास यात्राएं लगातार जारी हैं। अखिलेश यादव की विजय रथ यात्रा भी जारी है और यूपी में प्रियंका गांधी की चहल-पहल बढ़ गई है। प्रधानमंत्री के कार्यक्रम लगातार हो रहे हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और यूपी के सभी केंद्रीय मंत्री भी शामिल हैं। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने खुद यात्रा की कमान संभाली है। लेकिन यह अमित शाह हैं जिन्होंने अपनी पुरानी शैली के संचालन से सबसे अधिक चर्चा पैदा की है।

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