प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में चूक को लेकर भाजपा और कांग्रेस में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। दोनों पार्टियां एक-दूसरे को गलत साबित करने की कोशिश कर रही हैं। इस सबके बीच कांग्रेस ने अनजाने में ही सही, पर चुनाव से ठीक पहले भाजपा को चुनावी मुद्दा दे दिया है।
पंजाब में सत्ता बरकरार रखने के लिए कांग्रेस ने चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाकर बड़ा दांव चला था। पार्टी को pयकीन है कि दलित कार्ड के जरिए वह दूसरी बार चुनाव जीत सकती है पर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के गैर जिम्मेदाराना बयान और पहले की तरह सरकार व कांग्रेस संगठन में हिंदू नेताओं को तरजीह नहीं मिलने से इस तबके में नाराजगी है।
बढ़ सकती है कांग्रेस की मुश्किल
ऐसे में भाजपा प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक को बड़ा मुद्दा बनाती है,तो कांग्रेस की मुश्किल बढ़ सकती हैं। क्योंकि, करीब 38 फीसदी हिंदू मतदाता पहले ही खुद को सियासत में अलग-थलग महसूस कर रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुनील जाखड़ का बयान भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। पार्टी के रुख से अलग जाखड़ ने ट्वीट कर कहा कि जो हुआ वह स्वीकार्य नहीं है। यह पंजाब और पंजाबियत के खिलाफ है।
पंजाब में 60 फीसदी जट सिख
पंजाब की सियासत में हिंदू मतदाताओं की अहमियत जट सिख मतदाताओं से कम नहीं है। प्रदेश में 60 फीसदी जट सिख हैं, पर यह मतदाता अकाली दल, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में बंटते रहे हैं। पंजाब का मालवा हिंदू मतदाताओं का गढ़ माना जाता है और यहां 67 सीट हैं। प्रदेश में चुनाव वही जीतता है, जो मालवा में बढ़त बनाने में सफल रहता है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि यह बेहद अफसोसनाक
प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि यह बेहद अफसोसनाक है। प्रधानमंत्री को रैली तक पहुंचने के लिए सुरक्षित मार्ग दिया जाना चाहिए था। चुनाव से पहले चन्नी सरकार की यह बड़ी लापरवाही है। इसका सियासी नुकसान हो सकता है। क्योंकि, पंजाब में सत्ता बरकरार रखने के लिए शहरी या हिंदू मतदाता कांग्रेस के लिए बेहद अहम है।
उनके मुताबिक, 2017 के चुनाव में दस फीसदी हिंदू मतदाता अकाली-भाजपा गठबंधन से छिटक गए थे। इसलिए, चुनाव परिणाम बदल गए। क्योंकि इन चुनाव में आम आदमी पार्टी ने करीब तीस फीसदी जट सिख मतदाता कांग्रेस से छीन लिए थे। ऐसे में यह वोट नहीं मिलते, तो कांग्रेस के लिए पंजाब में सरकार बनाना आसान नहीं था।