उत्तर प्रदेश चुनाव में 10 फरवरी से 7 मार्च के बीच 7 चरणों में चुनाव होने जा रहा है। चुनाव की शुरुआत पश्चिमी उत्तर प्रदेश से होने वाली है, जिस जाट लैंड या गन्ना बेल्ट के नाम से भी जाना जाता है। मोदी सरकार की ओर से लाए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में एक साल से अधिक समय तक चले किसान आंदोलन का गढ़ भी यूपी का यही हिस्सा था। ऐसे में राजनीतिक जानकारों और विपक्षी पार्टियों का दावा है कि इस चुनाव में बीजेपी को किसानों की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, मोदी सरकार तीनों कानून वापस ले चुकी है। इस बीच टाइम्स नाउ ने ओपिनियन पोल में जब लोगों से पूछा कि क्या योगी सरकार किसान विरोधी है और इस चुनाव में किसान आंदोलन बड़ा मुद्दा होगा, तो जवाब बंटे हुए नजर आए।
किसान विरोधी है यूपी की सरकार?
ओपिनियन पोल में हिस्सा लेने वाले 42.27 फीसदी लोगों ने कहा कि वे योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली यूपी की बीजेपी सरकार को किसान विरोधी मानते हैं। वहीं, 46.32 फीसदी लोगों ने ‘ना’ में जवाब दिया। वहीं, 11.4 फीसदी लोगों के पास इसका कोई साफ जवाब नहीं था।
किसान आंदोलन का चुनावल में होगा असर?
कृषि कानूनों की वापसी और आंदोलन के खात्मे के बावजूद क्या इसका चुनाव पर असर होने वाला है? यह एक बड़ा सवाल बना हुआ है। प्री-पोल सर्वे में जब लोगों से यह सवाल किया गया तो 41.1 फीसदी लोगों ने माना कि आंदोलन का प्रभाव चुनाव पड़ने वाला है। वहीं, 43.1 फीसदी लोगों ने कहा कि यह चुनाव के लिए निर्णायक मुद्दा नहीं होगा।
आसानी से जीत हासिल कर सकती है बीजेपी
ओपनियन पोल में कहा गया है कि यूपी की 403 सीटों वाली विधानसभा में बीजेपी 227 से 254 सीटों पर कब्जा कर सकती है। सपा गठबंधन को 136 से 151 सीटें मिल सकती हैं। यूपी की चार बार सीएम रहीं मायावती की पार्टी बीएसपी का बुरा दौर जारी रह सकता है। पार्टी महज 8 से 14 सीटों पर सिमट सकती है। वहीं, प्रियंका गांधी की मेहनत के बावजूद कांग्रेस के हाथ महज 6-11 सीटें आने की संभावना जताई गई है।