दियों पर जानकारी देने के लिए चीन भारत से वसूलता है बहुत बड़ी रकम, RTI से पता चला

0

भारत और चीन के बीच के बीच कई समझौते होने के बावजूद भारत को ट्रांसबाउंड्री नदियों पर हाइड्रोलॉजिकल जानकारी के लिए चीन को भारी कीमत पर मिलती है। जल शक्ति मंत्रालय ने आरटीआई के एक जवाब में बताया है कि तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र से निकलने वाली सतलुज और ब्रह्मपुत्र नदियों पर हाइड्रोलॉजिकल जानकारी के लिए भारत द्वारा अब तक चीन को करीब 15।8 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। यह रिपोर्ट दी क्विंट ने दी है।

रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने 15 मई से 15 अक्टूबर तक ब्रह्मपुत्र नदी के नुगेशा, यांगकुन और नुक्सिया हाइड्रोलॉजिकल स्टेशन और 1 जून से 15 अक्टूबर तक सतलुज नदी के त्सदा हाइड्रोलॉजिकल स्टेशन की जानकारी दी है।

बाढ़ नियंत्रण के भारत के लिए जरूरी है डेटा

ब्रह्मपुत्र बेसिन में अक्सर तबाही मचाने वाली बाढ़ से निपटने के लिए भारत द्वारा नदियों पर जल विज्ञान संबंधी जानकारी जमा करना जरूरी रहता है। इसका मुख्य मकसद अरुणाचल प्रदेश, असम और अन्य डाउनस्ट्रीम क्षेत्रों में बाढ़ नियंत्रण और आपदा न्यूनीकरण है।

कई सालों तक चीन ने फ्री में दिया था डेटा

रिपोर्ट से पता चला है कि चीन ने 2002 से 2007 के बीच जो डेटा उपलब्ध कराए थे, उसके लिए एक भी पैसा नहीं चार्ज किया था। 2007 लॉजिस्टिक्स दिक्कतों के कारण कोई डेटा नहीं शेयर किया गया था।

रिपोर्ट्स के मुताबिक इस तरह की सूचना को लेकर भारत और नेपाल के बीच भी एक संधि भी है जिसके तहत भारत के साथ फ्री में डेटा शेयर किया जाता है। कई सालों तक चीन ने भी फ्री में डेटा दिया था लेकिन एक निश्चित दर लगाने का क्या कारण रहा, यह साफ नहीं है।

2002 में हुआ था समझौता

सियांग न.दी पर भारत के साथ डेटा साझा करने को लेकर भारत और चीन ने 2002 में समझौता किया था। इस समझौते को 2008, 2013 और 2018 में रिन्यू किया गया था। ऐसे ही सतलुज नदी को लेकर 2005 में समझौता किया गया था जिसे 2010 और 2015 में रिन्यू किया गया।

About Author

Comments are closed.

Maintain by Designwell Infotech