UP Election 2022: जाट के साथ से BJP की बनी ठाठ, समझें वेस्ट यूपी में क्या है वोट का गणित

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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के चाणक्य कहे जाने वाले पूर्व अध्यक्ष अमित शाह ने दिल्ली में जाट दरबार सजाया। खाट, हुक्का और गुड़ की मिठास के साथ हुई इस बैठक में जाटों की नाराजगी को दूर करने का पूरा प्रयास किया गया। गृहमंत्री अमित शाह ने 2014 से 2019 तक तीन बार बीजेपी की झोली भरने के लिए जाट समुदाय को श्रेय दिया तो एक बार फिर अपनी पार्टी के लिए समर्थन मांगा। 

दरअसल, गन्ने और चीनी उत्पादन के लिए मशहूर पश्चिमी यूपी को अक्सर जाटलैंड और गन्ना बेल्ट भी कहा जाता है। पश्चिमी यूपी में किसकी ठाठ जमेगी और किसकी खाट खड़ी होगी, यह काफी हद तक जाट समुदाय पर निर्भर करता है। पश्चिमी यूपी में 18 जिलों की 80 सीटों पर जाटों की भूमिका निर्णायक होती है। पश्चिमी यूपी में आबादी के लिहाज से देखें तो यहां 30 फीसदी मुस्लिम और 25 फीसदी दलित के अलावा 20 फीसदी जाट हैं।

ना सिर्फ आबादी के लिहाज से बल्कि सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से भी जाट बेहद प्रभावशाली रहे हैं। 2014, 2017 और 2019 के चुनाव परिणाम और पोस्ट पोल सर्वे के आंकड़ों को देखें तो यह साफ हो जाता है कि वेस्ट यूपी में जो बीजेपी की ठाठ बनी है, उसके पीछे असल में जाटों का बहुत बड़ा योगदान है। 2012 के विधानसभा चुनाव में जहां बीजेपी को वेस्ट यूपी की 136 सीटों में से 20 पर ही जीत हासिल हुई तो अगले चुनाव में बीजेपी ने 109 सीटों पर कब्जा कर लिया। नतीजतन बीजेपी ने पहली बार देश के सबसे बड़े सूबे में 312 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया। 

लंबे समय तक जाटों पर राष्ट्रीय लोकदल का एकाधिकार समझा जाता था। 2012 के चुनाव में बीजेपी को पश्चिमी यूपी में महज 16.85 फीसदी वोट शेयर के साथ 20 सीटें हासिल हुईं। 2013 में मुजफ्फरनगर दंगों के बाद यहां धार्मिक ध्रुवीकरण चरम पर पहुंच गई। 2014 के लोकसभा चुनाव में जाटों ने बीजेपी को छप्पड़ फाड़कर वोट दिया। बीजेपी को जहां लोकसभा की 26 सीटों पर जीत हासिल हुई तो सपा को महज 3 सीटें मिलीं। सीएसडीएस लोकनीति की ओर से किए गए पोस्ट पोल सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि 2014 के लोकसभा चुनाव में 77 फीसदी जाटों ने कमल का बटन दबाया।पिछले विधानसभा से पहले भी कुछ मुद्दों पर जाटों की नाराजगी का मुद्दा उठा तो गृहमंत्री अमित शाह ने समुदाय के नेताओं के साथ इसी तरह की बैठक की थी जिस तरह उन्होंने आज सांसद प्रवेश वर्मा के घर पर की है। शाह की अपील पर 2017 में जाटों ने बीजेपी का खुलकर साथ दिया। बीजेपी को वेस्ट यूपी में तब 42.54 फीसदी वोट मिले और पार्टी ने 136 में से 109 सीटों पर कब्जा कर लिया। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी पार्टी जाटलैंड में बीजेपी की ही ठाठ रही। तब बीजेपी को 21 सीटों पर जीत मिली तो एसपी+बीएसपी गठबंधन ने 8 सीटों पर जीत हासिल की थी। सीएसडीएस लोकनीति के पोस्ट पोल सर्वे के मुताबिक, इस बार 91 फीसदी जाटों ने बीजेपी का साथ दिया था।

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