जब दुनिया में कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वैरिएंट के केस कम होते दिख रहे हैं तो एक और वैरिएंट ने चिंताएं बढ़ा दी हैं। कोविड के नियोकोव वैरिएंट को घातक बताया जा रहा है। चीन के वुहान के वैज्ञानिकों ने चिंता जताई है कि कोविड का नियोकोव वैरिएंट पिछले सभी वैरिएंट से अधिक घातक हो सकता है। वैज्ञानिकों ने बताया है कि कोविड से पहले संक्रमित हो चुके या कोविड का टीका लेने के बाद भी लोग नियोकोव और PDF-2180-CoV से लोग संक्रमित हो सकते हैं।
वैज्ञानिकों ने और क्या बताया है?
वुहान में वैज्ञानिकों के एक रिसर्च पेपर के मुताबिक नियोकोव मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम या MERS-कोरोनावायरस से संबंधित है। पेपर को बायोरेक्सिव वेबसाइट पर प्रकाशित किया गया है और अभी तक इसकी समीक्षा नहीं की गई है। दक्षिण अफ्रीका में एक चमगादड़ में खोजा गया यह वायरस सिर्फ जानवरों के बीच फैलने के लिए जाना जाता था। हालांकि अब यह देखा गया है कि नियोकोव और PDF-2180-CoV एंट्री के लिए बैट ACE2 और ह्यूमन ACE2 सहित कुछ प्रकार के एंजियोटेंसिन-परिवर्तित एंजाइम का इस्तेमाल करते हैं।
क्या हैं इसके लक्षण?
हालांकि एक एकदम से नया वैरिएंट नहीं है। MERS-CoV वायरस बुखार, खांसी और सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षणों के मामले में SARS-CoV-2 जैसा है। 2012 से 2015 के दौरान मिडिल ईस्ट के देशों में फैला था। इससे हुए संक्रमण के कारण कई लोगों की मौत हो गई थी।
मृत्यु और ट्रांसमिशन दर दोनों उच्च
रिसर्च में नतीजों के आधार पर बताया गया है कि MERS-CoV Beta-CoV (मर्बेकोवायरस) के वंश C से संबंधित है, जो करीब 35 फीसद की उच्च मृत्यु दर को देखते हुए एक बड़ा खतरा बन गया है। वैज्ञानिकों ने बताया है कि स्टडी से पता चला है कि MERS से संबंधित वायरस में ACE2 के इस्तेमाल के पहले मामले को प्रदर्शित करता है। इसकी मृत्यु दर और ट्रांसमिशन दर दोनों उच्च है।
मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम में वायरस संक्रमित ड्रोमेडरी ऊंटों से इंसानों में ट्रांसफर किया गया था। वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन के मुताबिक वायरस की उत्पत्ति कैसे हुई, यह पूरी तरह से साफ नहीं है लेकिन वायरस के जीनोम विश्लेषण किए जाने के बाद यह माना जाता है कि इसकी उत्पति चमगादड़ों में हुई थी और बाद में समय में ऊंटों में फैल गई।