भारत ने यूक्रेन में तनाव बढ़ाने वाले किसी भी कदम का किया विरोध, कहा- रचनात्मक कूटनीति समय की जरूरत है

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भारत ने सोमवार को यूक्रेन में तनाव बढ़ाने वाले किसी भी कदम का विरोध किया और सभी देशों के वैध सुरक्षा हितों को ध्यान में रखते हुए शांत और रचनात्मक कूटनीति और तत्काल डी-एस्केलेशन का आह्वान किया। भारत ने रेखांकित किया कि शांत और रचनात्मक कूटनीति समय की आवश्यकता है और अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के बड़े हित में सभी पक्षों द्वारा तनाव बढ़ाने वाले किसी भी कदम से बचना चाहिए।

यूक्रेन में स्थिति पर चर्चा के लिए बुलाई गई संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एक विशेष सत्र को संबोधित करते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने देश की स्थिति को रेखांकित किया। भारत ने अमेरिका और रूस दोनों के साथ अपने घनिष्ठ संबंधों को देखते हुए एक संतुलित स्थिति अपनाने की मांग की है। यूक्रेन की वजह से अमेरिका और रूस के बीच संबंधों में खटास आई है।

तिरुमूर्ति ने आगे कहा कि यूक्रेन में रहने और पढ़ने वाले 20,000 से अधिक भारतीयों की भलाई नई दिल्ली की प्राथमिकता है। सुरक्षा परिषद की बैठक अमेरिका के अनुरोध पर बुलाई गई थी, जो रूस पर यूक्रेन के साथ सीमा पर इकट्ठा किए गए 100,000 सैनिकों को वापस लेने के लिए दबाव डाल रहा है। अमेरिका ने रूस की इस मांग को भी खारिज कर दिया है कि यूक्रेन को नाटो में शामिल नहीं किया जाना चाहिए।

रूसी दूत के विरोध के बाद यूक्रेन पर चर्चा हो या न हो इसके लिए वोटिंग की गई। सुरक्षा परिषद के दस सदस्यों ने पक्ष में मतदान किया, जबकि भारत, गैबॉन और केन्या ने भाग नहीं लिया और चीन और रूस ने इसके खिलाफ मतदान किया। चर्चा में भाग लेते हुए, तिरुमूर्ति ने कहा शांत और रचनात्मक कूटनीति समय की आवश्यकता है और अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के बड़े हित में सभी पक्षों द्वारा तनाव बढ़ाने वाले किसी भी कदम से बचना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘20,000 से अधिक भारतीय छात्र और नागरिक यूक्रेन के विभिन्न हिस्सों में रहते हैं और पढ़ाई करते हैं, जिसमें इसके सीमावर्ती क्षेत्र भी शामिल हैं। भारतीय नागरिकों की भलाई हमारी प्राथमिकता है।

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