केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कोविड-19 टीकाकरण और CoWIN पोर्टल पर पंजीकरण के लिए आधार कार्ड (Aadhaar Card) अनिवार्य नहीं है और 87 लाख लोगों को बिना आईडी के टीका लगाया गया है। शीर्ष अदालत ने अधिकारियों से कहा कि वे टीकाकरण के लिए लोगों से आधार कार्ड मांगने पर जोर न दें।
जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्य कांत की बेंच ने कुछ केंद्रों पर टीकाकरण के लिए आधार कार्ड पर जोर देने का दावा करने वाली एक जनहित याचिका का निपटारा करते हुए अधिकारियों से कहा कि वे COVID -19 टीकाकरण के लिए पहचान के एकमात्र प्रमाण के रूप में आधार कार्ड दिखाने पर जोर न दें।
बेंच ने जनहित याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) ने याचिका के जवाब में एक हलफनामा दायर किया, जो विशेष रूप से यह बताता है कि CO-WIN पोर्टल पर पंजीकरण के लिए आधार कार्ड अनिवार्य नहीं है और नौ दस्तावेजों में से किसी एक को पेश किया जा सकता है। टीकाकरण का लाभ उठाने के लिए आधार दिखाना अनिवार्य नहीं है। याचिकाकर्ता की शिकायत का विधिवत निराकरण किया जाता है। सभी संबंधित प्राधिकरण स्वास्थ्य मंत्रालय की नीति के अनुसार कार्य करेंगे
इस दौरान मंत्रालय की ओर से पेश वकील अमन शर्मा ने बेंच को बताया कि आधार ही एकमात्र पूर्व शर्त नहीं है और बिना किसी पहचान पत्र के 87 लाख लोगों को टीका लगाया गया है।
यह जनहित याचिका पुणे के रहने वाले एक वकील और सामाजिक कार्यकर्ता सिद्धार्थशंकर शर्मा द्वारा दायर की गई थी। याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील मयंक क्षीरसागर ने तर्क दिया कि टीकाकरण केंद्रों को आधार कार्ड नहीं मांगना चाहिए। जनहित याचिका में टीके लगाने के लिए किसी व्यक्ति का सत्यापन करते समय COVID-19 टीकाकरण केंद्र / वैक्सीनेटर के लिए CO-WIN पोर्टल में आधार विवरण जमा करने की अनिवार्य पूर्व शर्त को समाप्त करने के निर्देश मांगे गए थे।
जनहित याचिका में भारत के सभी नागरिकों के लिए समान उपयोगकर्ता के अनुकूल, उपयोग में आसान और पहुंच प्रदान करने के अनुरूप कोविन पोर्टल में आवश्यक बदलाव करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को निर्देश देने की भी मांग की गई थी।