बिहार और झारखंड के बहुचर्चित चारा घोटाला के सबसे बड़े डोरंडा केस में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को 5 साल की सजा सुनाई गयी है। साथ साथ उन्हें 60 लाख रुपए जुर्माना लगाया गया है। रांची स्थित सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने डोरंडा मामले में लालू प्रसाद को यह सजा सुनाई है। यह मामला तत्कालीन बिहार और आज के डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ रुपये की अवैध निकासी से जुड़ा है।
लालू प्रसाद यादव के मुख्यमंत्री रहते 1990 से 1995 के बीच डोरंडा ट्रेजरी से 139.35 करोड़ रुपये की अवैध तरीके से निकासी की गई थी। डोरंडा का मामला सबसे बड़ा था। इस घोटाले की परतें जब खुलने लगी तो पूरे देश के लोग हैरान हो गए। डोरंडा ट्रेजरी से निकाले गए रुपए पशुओं और उनके चारे पर खर्च किए गए थे। लेकिन सीबीआई की जांच में पता चला कि फर्जी बिल वाउचर लगाकर रुपए निकाल लिए गए। सीबीआई को दिए गये बिल्स के मुताबिक पशुओं को दिल्ली से बिहार लाने के लिए स्कूटर और मोटरसाइकिल का इस्तेमाल किया गया।
इस घोटाले में अधिकारियों और नेताओं की गहरी सांठगांठ थी। सीबीआई जांच में पता चला कि इस घोटाले में 400 सांड को हरियाणा और दिल्ली से स्कूटर और मोटरसाइकिल से लाया गया। पशुपालन विभाग ने अपनी रिपोर्ट में जिन गाड़ियों का जिक्र किया था, उनके नंबर मोटरसाइकिल और स्कूटर के थे। सीबीआई की जांच में बताया गया कि दाना, बादाम, खरी, नमक, मक्का जैसे पशु चारे की बड़ी खेप को लाने में स्कूटर, मोटरसाइकिल और उस जमाने में चलने वाली गाड़ी मोपेड का रजिस्ट्रेश नंबर दिया गया था। इस मामले की जांच के दौरान सीबीआई ने अलग-अलग कोषागारों से गलत ढंग से अलग-अलग राशियों की निकासी को लेकर 53 मुकदमे दर्ज किए थे। सभी निकासी 1996 में की गयी थी।
तनाव में लालू प्रसाद यादव
चारा घोटाले के डोरंडा मामले में CBI के विशेष न्यायाधीश एसके शशि की अदालत में 29 जनवरी को बहस पूरी हो गई थी। उसके बाद बीते 15 फरवरी को लालू प्रसाद यादव को दोषी करार दिया गया था। उसमें 24 को बरी कर दिया गया तो 34 आरोपियों को 3-3 साल की सजा सुनाई गयी। अदालत के आदेश पर हाजिर होने के लिए लालू प्रसाद 13 फरवरी से रांची में हैं। लालू प्रसाद काफी तनाव में हैं और उनका बीपी फ्लक्चुएट कर रहा है।