उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव की जीत को लेकर उनके गृहनगर इटावा की गली नुक्कड़ों पर बाजियां लगने लगी हैं। सट्टा कारोबार से जुड़े लोग ऐसा मान कर चलते है कि चाचा भतीजे में से कौन सबसे अधिक मतो से अपनी अपनी विधानसभा सीट पर चुनाव जीतेगा इसके लिए करोड़ों रुपए का सट्टा लगाया गया है। मैनपुरी की करहल से अखिलेश यादव और इटावा की जसवंतनगर सीट पर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) संस्थापक शिवपाल चुनाव मैदान पर हैं।
सट्टेबाजों का आलम यह है कि वह अखिलेश और शिवपाल को हारने की बात कह रहे हैं, जबकि सपा के नेता दोनों की रिकॉर्ड मतों से जीत का दावा कर रहे हैं। करहल में अखिलेश के मुकाबले के लिए भाजपा ने अपने केंद्रीय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल को चुनाव मैदान पर उतारा था वहीं सपा के चुनाव चिह्न साइकिल पर जसवंतनगर से चुनाव लड़ रहे शिवपाल का मुकाबला भाजपा के विवेक शाक्य से है।
शिवपाल ने अपने समर्थकों से कहा था कि उनको गठबंधन के तहत केवल एक सीट दी गई है इसलिए हर हाल में इतनी बड़ी जीत कर दीजिएगा कि उत्तर प्रदेश में इससे बड़ी कोई दूसरी जीत ना हो। जसवंत नगर विधानसभा सीट से 2017 में शिवपाल सिंह यादव के मुकाबले चुनाव मैदान में उतरने वाले भाजपा उम्मीदवार मनीष यादव स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए हैं। मनीष यादव को 2017 में 75000 के आसपास मत मिले थे।
इसके ठीक विपरीत जसवंतनगर विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरे भाजपा उम्मीदवार विवेक शाक्य अपनी जीत के प्रति पूरी तरह से आश्वस्त हैं, उनका कहना है कि जातीय समीकरणों के आधार पर उन को हराने वाला कोई नहीं है। पार्टी के राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव प्रो.रामगोपाल यादव ने दावा किया कि पता नहीं क्या सोच कर भारतीय जनता पार्टी के सभी नेता करहल विधानसभा सीट पर राजनीति कर रहे हैं। इस सीट से अखिलेश यादव की एकतरफा रिकॉर्ड मतों से जीत होगी, जो 10 मार्च को नतीजे के तौर पर हर किसी को दिखाई देगी।