कर्नाटक उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी, न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित और न्यायमूर्ति जेएम खाजी की तीन न्यायाधीशों की पीठ शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
पीठ ने कहा, ”सुनवाई समाप्त हो गई है। फैसला सुरक्षित रखा है।” इसके अलावा कोर्ट ने सभी पक्षों से लिखित दलीलें देने को कहा। एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता युसूफ मुछला ने अपनी दलील में कहा कि याचिकाकर्ता को सिर को कपड़े के टुकड़े से ढकने की अनुमति दी जानी चाहिए। मुछला ने कहा, “कॉलेज द्वारा हमें ऐसा करने से रोकना सही नहीं है।”
मुख्य न्यायाधीश अवस्थी, न्यायमूर्ति कृष्णा एस. दीक्षित और न्यायमूर्ति जे. एम. काजी की पीठ का गठन नौ फरवरी को किया गया था और इसने संबंधित याचिकाओं की रोजाना आधार पर सुनवाई की। कुछ लड़कियों ने याचिकाओं में कहा था कि जिन शैक्षणिक संस्थानों में ‘यूनिफॉर्म’ लागू हैं, उनमें उन्हें हिजाब पहनकर जाने की अनुमति दी जाए। उडुपी में एक प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज में गत दिसम्बर में ड्रेस कोड का उल्लंघन करने के लिए कुछ लड़कियों को कक्षा में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गयी थी।
हिजाब के कारण प्रवेश नहीं पाने वाली छह लड़कियां प्रवेश पर प्रतिबंध के खिलाफ कैम्पस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीपीआई) की ओर से एक जनवरी को आयोजित संवाददाता सम्मेलन में शामिल हुई थीं। इसके बाद छात्रों ने विरोधस्वरूप केसरिया शॉल रखना शुरू कर दिया था।
अपने अंतरिम आदेश में, पीठ ने सरकार से कहा था कि वह उन शैक्षणिक संस्थानों को फिर से खोले, जो आंदोलन से प्रभावित थे, और अदालत द्वारा अंतिम आदेश जारी किए जाने तक छात्रों को धार्मिक प्रतीक वाले कपड़े पहनने से रोक दिया गया था।
एक कॉलेज के प्राचार्य ने कहा, “हिजाब पहनने को लेकर संस्थान का कोई नियम नहीं है, क्योंकि पिछले 35 सालों में किसी ने भी कक्षा में इसे नहीं पहना था। मांग कर रही छात्राओं को बाहरी ताकतों का समर्थन प्राप्त था।”