अफगानिस्तान के पूर्व वित्त मंत्री खालिद पायेंदा अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डीसी में उबर कैब चला रहे हैं। करीब 6 महीने पहले अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जा करने से एक हफ्ते पहले उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। देश के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी के साथ पायेंदा के संबंध उस वक्त खराब हो गए थे।
पायेंदा ने बताया कि इस सप्ताह की शुरुआत में एक रात उन्होंने छह घंटे के काम के लिए 150 डॉलर से थोड़ा अधिक कमाया। मालूम हो कि बतौर अफगानिस्तान वित्त मंत्री एक बार उनके पास यूएस-समर्थित 6 बिलियन डॉलर का बजट आया था। अमेरिका आने के बाद वह अपने परिवार से फिर से मिल गए। उन्होंने बताया कि काबुल से वॉशिंगटन आना उनके लिए एडजस्टमेंट भरा रहा।
‘अभी मेरे पास कोई जगह नहीं’
अफगानिस्तान के पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि वह अपने परिवार की मदद करने में सक्षम होने के अवसर के लिए आभारी हैं। उन्होंने कहा कि अभी मेरे पास कोई जगह नहीं है। मैं यहां का नहीं हूं और मैं वहां का नहीं हूं। यह बहुत खाली अहसास है। वह वॉल्श स्कूल ऑफ फॉरेन सर्विस, जॉर्ज टाउन यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में भी काम कर रहे हैं।
अमेरिका को लेकर क्या कहते हैं पायेंडा
पायेंडा ने कहा, “मैंने बहुत असमानता देखी और हम असफल रहे। मैं विफलता का हिस्सा था। जब आप लोगों के दुख को देखते हैं और आप जिम्मेदार महसूस करते हैं तो यह मुश्किल होता है।” उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान को 9/11 के बाद की नीति का केंद्रबिंदु बनाकर अमेरिका ने लोकतंत्र और मानवाधिकारों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को धोखा दिया है। शायद शुरुआत में अच्छे इरादे थे लेकिन अमेरिका का शायद यह मकसद नहीं था।
‘जो कुछ भी बनाया वह ताश के पत्तों का…’
पायेंडा को काबुल के पतन के बारे में टेलीविजन और फिर ट्विटर पर पता चला। उन्होंने कहा, “हमने जो कुछ भी बनाया वह ताश के पत्तों का एक घर था जो इस तेजी से दुर्घटनाग्रस्त हो गया। वह भ्रष्टाचार की नींव पर बने ताश के पत्तों का घर। सरकार में हम में से कुछ ने चोरी करना चुना। हमने अपने लोगों को धोखा दिया।”