यूक्रेन और रूस के बीच संभावित शांति समझौते के लिए वार्ता वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए शुक्रवार को फिर से शुरू होगी। यूक्रेनी प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख ने यह जानकारी दी। यूक्रेनी प्रतिनिधिमंडल के सदस्य एवं संसद में सत्तारूढ़ पार्टी का नेतृत्व करने वाले डेविड अरखामिया ने बताया कि प्रतिनिधिमंडलों ने दो सप्ताह तक वीडियो के जरिए वार्ता करने के बाद मंगलवार को इस्तांबुल में प्रत्यक्ष रूप से आमने-सामने मुलाकात की थी।
अभी तक हुई बातचीत में एक संभावित शांति समझौते की धुंधली रूपरेखा उभरती दिखी है। इसमें, यूक्रेनी प्रतिनिधिमंडल ने उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) में शामिल होने के विचार को त्यागने जैसी रूस की कई मांगों को मानने को लेकर सहमति जतायी है। यूक्रेन के प्रस्ताव पर रूसी राजनयिकों की सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है।
रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होते ही यूरोप में किया गया था साइबर हमला
यूरोप में हजारों ‘मॉडेम’ को प्रभावित करने वाले और यूक्रेन की सेना तथा सरकार द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले उपग्रह नेटवर्क पर साइबर हमले के लिए ‘सॉफ़्टवेयर कमांड’ का इस्तेमाल देश पर रूस के आक्रमण करते ही किया गया था। उपग्रह (सेटेलाइट) के स्वामित्व वाली कंपनी ने बुधवार को यह खुलासा किया। ‘मॉडेम’ एक प्रकार का हार्डवेयर उपकरण है, जिसका इस्तेमाल कंप्यूटर को केबल या टेलीफोन के माध्यम से डेटा भेजने के लिए किया जाता है।
अमेरिका स्थित ‘वायासेट’ के मालिक ने साइबर हमले के संबंध में पहली बार जानकारी देते हुए एक बयान जारी किया और बताया कि रूस और यूक्रेन युद्ध के सबसे गंभीर ज्ञात साइबर हमले के बारे में कैसे पता चला। इस व्यापक हमले ने पोलैंड से लेकर फ्रांस तक के उपयोगकर्ताओं को प्रभावित किया। मध्य यूरोप में हजारों ‘विंड टर्बाइन’ तक पहुंच बाधित होने से हमले की जानकारी मिली।
‘द एसोसिएटेड प्रेस’ द्वारा अलग से पूछे जाने के बावजूद ‘वायासेट’ ने यह नहीं बताया कि हमले के लिए कौन जिम्मेदार था। यूक्रेन के अधिकारियों ने हालांकि इसके लिए रूसी हैकर्स को जिम्मेदार ठहराया है। रूस के यूक्रेन पर आक्रमण शुरू करते ही ‘वायसैट’ पर हमला किया गया था, जिसे कई लोग अब तक किसी भी युद्ध के दौरान किया गया सबसे बड़ा साइबर हमला मानते हैं। इस तरह के हमले अभी तक सामने नहीं आए थे। साइबर हमले के कारण यूरोपीय देशों के हजारों लोगों के ब्रॉडबैंड इंटरनेट कनेक्शन प्रभावित हुए थे।