देश में आज से 18 वर्ष से ऊपर के सभी वयस्कों को कोविड टीके की बूस्टर डोज लगनी शुरू हो जाएगी। दुनियाभर में बूस्टर डोज को लेकर हुई कई शोध में यह बात सामने आई है कि इनसे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है। इसी तरह का एक अध्ययन भारतीय आयुर्विज्ञन अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने किया है। इसके नतीजे कहते हैं कि बूस्टर की वजह से एंटीबॉडी के स्तर में 400 फीसदी तक बढ़ोतरी दर्ज की गई।
केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्यमंत्री भारती प्रवीण पवार राज्यसभा में इसकी जानकारी दी थी। उन्होंने कहा कि कोवैक्सीन और एस्ट्राजेनेका टीकों की बूस्टर खुराक के आंकड़े बताते हैं कि इसे लेने के बाद एंटीबॉडी के स्तर में तीन से चार गुना की वृद्धि हो गई।
32 गुना तक बढ़ गई प्रतिरक्षा प्रणाली
वहीं एक अन्य अध्ययन में ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने दावा किया कि बूस्टर डोज लगवाने वाले लोगों में संक्रमण से सुरक्षा कवच 32 गुना तक अधिक मजबूत हो जाता है। लांसेट जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार जिन लोगों को फाइजर की दो खुराक के बाद एस्ट्राजेनेका टीके की खुराक बूस्टर डोज के तौर पर दी गई उनमें एंटीबॉडी का स्तर 32 गुना अधिक पाया गया है। भारत में एस्ट्राजेनेका का टीका ही कोविशील्ड है। ब्रिटेन में 2878 लोगों पर अध्ययन के बाद वैज्ञानिकों ने ये दावा किया है।
ब्रेकथ्रू मामले में टीका असरदार
आईसीएमआर के अनुसार कोवैक्सीन की दोनों खुराक के बाद संक्रमण (ब्रेकथ्रू) की चपेट में आने वालों में एंटीबॉडी का स्तर अधिक पाया गया है। संक्रमण के बाद जिन्होंने टीका लगवाया उनमें ब्रेकथ्रू की तुलना में एंटीबॉडीज का स्तर कम पाया गया है। पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की वैज्ञानिक डॉ. प्रज्ञा यादव का कहना है कि ओमीक्रोन की तीसरी लहर में टीके का बेहतर प्रभाव देखने को मिला है।
नई रूप से बचाएगा बूस्टर
अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ रोचेस्टर मेडिकल सेंटर के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि टीके की बूस्टर डोज भविष्य में महामारी की नई लहर और कोरोना के नए स्वरूपों से बचाने में भी कारगर है। अमेरिका में 18 वर्ष से अधिक उम्र के 600 लोगों पर 24 अलग-अलग स्थानों पर हुए शोध के बाद ये दावा किया है। वैज्ञानिकों के अनुसार ओमीक्रोन लहर में लोगों का जीवन बचाने में टीके की अहम भूमिका रही है।