पंजाब में आम आदमी पार्टी की नई सरकार में दरार पड़ती नजर आ रही है। अब आप विधायक कुंवर विजय प्रताप ने दो वरिष्ठ IPS अधिकारियों प्रबोध कुमार और अरुण पाल सिंह की नियुक्ति पर आपत्ति जताई है। शनिवार को पंजाब में बड़े फेरबदल हुए। हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में आप ने 92 सीटों पर जीत हासिल कर सरकार बनाई है।
शनिवार को 1997 बैच के IPS अधिकारी सिंह को अमृतसर पुलिस आयुक्त बनाया गया है। वहीं, पंजाब सरकार ने 1988 बैच के IPS अधिकारी कुमार को 25 मार्च को स्पेशल डीजीपी (खुफिया) नियुक्त किया है। कुंवर प्रताप ने शनिवार को फेसबुक पोस्ट के जरिए इन दोनों अधिकारियों की नियुक्ति पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इसपर विचार करने का भी अनुरोध किया है।
उन्होंने लिखा, ‘आम लोगों की मांग पर मैंने पार्टी के मंच पर उन दो पुलिस अधिकारियों की नियुक्ति पर दोबारा विचार करने का अनुरोध किया है, जो नंबर एक और नंबर दो के तौर पर तत्कालीन SIT का हिस्सा था और जिन्होंने बड़े राजनीतिक घरानों का पक्ष लिया था। ये दो अधिकारी बरगारी-बेहबाल-कोटकपूरा मामले में न्याय नहीं मिलने के जिम्मेदार हैं। मैं SIT में नंबर तीन पर था। नंबर एक को पुलिस विभाग के सबसे ताकतवर पद खुफिया प्रमुख बनाया गया है। नंबर दो को पवित्र शहर अमृतसर के पुलिस आयुक्त के रूप में इनाम दिया गया है।’
कुंवर प्रताप पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं और पंजाब पुलिस में IG रह चुके हैं। उनके नेतृत्व में काम कर रही SIT की जांच को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था, जिसके कुछ समय बाद अप्रैल में ही उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया था। उस दौरान SIT गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के खिलाफ विरोध कर रहे लोगों पर कोटकपूरा और बेहबाल कलां में गोलीबारी के दो मामलों में जांच कर रहे थे। बाद में वह आप में शामिल हो गए थे।
कुंवर प्रताप ने कहा कि उन्होंने पहले ही यह साफ कर दिया था कि किसी को भी बेअदबी के मुद्दे का राजनीतिकरण या ग्लैमर से नहीं जोड़ना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘जो लोग इस मुद्दे पर राजनीति करते हैं उन्हें गुरु गोविंद सिंह जी की सबसे ऊंची अदालत से सजा मिली…। गुरु महाराज ने पंजाब के दो बड़े सियासी घरानों को सजा दी, जो मेरे इस्तीफे से जल रहे थे। ये दो परिवार पंजाब के सियासी मैदान में दोबारा नहीं आएंगे। बरगारी-बेहबाल-कोटकपूरा मामले में आम लोगों को हमारी आप सरकार से न्याय की उम्मीद है।’