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भीमा कोरेगांव हिंसा: जांच आयोग ने NCP चीफ शरद पवार को पेश होने के लिए कहा, पहले भी भेजा था नोटिस

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भीमा कोरेगांव मामले की जांच कर रहे न्यायिक जांच आयोग ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार को 5 मई और 6 मई को मुंबई में सुनवाई के दौरान गवाह के रूप में उपस्थित रहने के लिए कहा। इसी साल फरवरी में, जब आयोग ने पवार को तलब किया था, तब उन्होंने हलफनामा दाखिल करने के लिए आयोग से और समय मांगा था, जिसके बाद आयोग ने उन्हें और समय दे दिया था।

अब आयोग ने पवार को महाराष्ट्र के पुणे जिले में युद्ध स्मारक पर जनवरी 2018 में हुई हिंसा के संबंध में अपना बयान दर्ज कराने के लिए पांच और छह मई को उसके समक्ष पेश होने का निर्देश दिया है। आयोग ने पहले 2020 में भी पवार को समन भेजा था लेकिन वह कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाए लॉकडाउन के कारण उसके समक्ष पेश नहीं हो सके थे।

बाद में पवार को इस साल 23 और 24 फरवरी को आयोग के समक्ष पेश होने के लिए कहा गया लेकिन वरिष्ठ नेता ने यह कहते हुए नयी तारीख मांगी कि वह अपना बयान दर्ज कराने से पहले एक अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करना चाहते हैं। हाल ही में हलफनामा दाखिल किया गया है।

आयोग के वकील आशीष सतपुते ने बताया कि इसके बाद आयोग ने बुधवार को पवार को समन जारी किया। राकांपा प्रमुख को पांच और छह मई को जांच आयोग के समक्ष पेश होने के लिए कहा गया है। पवार ने आठ अक्टूबर 2018 को भी आयोग के समक्ष एक हलफनामा दाखिल किया था।

फरवरी 2020 में सामाजिक समूह विवेक विचार मंच के सदस्य सागर शिंदे ने आयोग के समक्ष एक अर्जी दायर कर 2018 की जातीय हिंसा के बारे में मीडिया में पवार द्वारा दिए गए कुछ बयानों के मद्देनजर उन्हें तलब करने की मांग की थी। दो सदस्य जांच आयोग में कलकत्ता उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश जे एन पटेल और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्य सचिव सुमित मलिक शामिल हैं।

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