गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणी को असम की एक अदालत ने एक महिला पुलिसकर्मी के कथित शीलभंग करने के मामले में जमानत दे दी है। विधायक पर अपने खिलाफ नए मामले में एक महिला पुलिस अधिकारी की शील भंग करने का आरोप लगाया गया था। मेवाणी को इससे पहले पीएम नरेंद्र पर कथित टिप्पणी करने के आरोप में भी गिरफ्तार किया गया था।
गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणी को पहली बार पिछले गुरुवार को गुजरात के पालनपुर से असम पुलिस की एक टीम ने गिरफ्तार किया था, जब असम के कोकराझार के एक स्थानीय भाजपा नेता ने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज की थी। मेवाणी पर सोशल मीडिया में पीएम मोदी के खिलाफ टिप्पणी करने का आरोप है।
जिस दिन उन्हें ट्वीट मामले में जमानत मिली उस दिन मेवाणी ने संवाददाताओं से कहा था, “यह भाजपा और आरएसएस की साजिश है। उन्होंने मेरी छवि खराब करने के लिए ऐसा किया है। वे व्यवस्थित रूप से ऐसा कर रहे हैं। उन्होंने रोहित वेमुला के साथ किया, उन्होंने चंद्रशेखर आजाद के साथ किया, अब वे मुझे निशाना बना रहे हैं।”
ट्वीट मामले में जिग्नेश पर आपराधिक साजिश, पूजा स्थल से संबंधित अपराध, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और शांति भंग करने के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया था।