उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को रोजगार के मोर्चे पर बड़ी कामयाबी मिली है। सबसे अधिक आबादी वाले प्रदेश में बेरोजगारी दर 4.4 फीसदी से गिरकर महज 2.9 फीसदी ही रह गई है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (CMIE) के ताजा सर्वे में यह कहा गया है।
उत्तर प्रदेश ने इस मामले में दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। यूपी के बाद तमिलनाडु है, जिसकी बेरोजगारी दर 3.2 फीसदी है। केरल की बेरोजगारी दर 5.8 फीसदी है तो बंगाल में 6.2 फीसदी और पंजाब में 7.2 फीसदी है। बेरोजगारी और कारोबारी गतिविधियों पर नजर रखने वाली संस्था ने बताया है कि राजस्थान में बेरोजगारी दर 28.8 फीसदी है। झारखंड में 14.2 फीसदी बेरोजगारी दर है तो दिल्ली में यह 11.2 फीसदी है।
CMIE की मासिक रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी में बेरोजगारी दर मार्च के 4.4 फीसदी से घटकर अप्रैल में 2.9 फीसदी रह गई है। एक सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि योगी सरकार के पहले कार्यकाल में 2017 से 2022 के बीच 5 लाख सरकारी नौकरियां दी गईं हैं। उन्होंने कहा, ”सीएम योगी की ओर से रोजगार को ध्यान में रखकर चलाईं गईं योजनाओं ने नए कारोबार और रोजगार सृजन में अहम भूमिका निभाई है। उद्योग और व्यापार में वृद्धि की वजह से यूपी में सबसे कम बेरोजगारी है।”
योगी सरकार ने नए कार्यकाल में हर परिवार से कम से कम एक व्यक्ति को नौकरी या रोजगार देने का वादा किया है। योगी सरकार के सामने बेरोजगारी दर को न्यूनतम स्तर पर रखने की चुनौती होगी और यदि सरकार ऐसा करने में कामयाब रहती है तो 2024 के लोकसभा चुनाव में इसे भुनाने का प्रयास कर सकती है। हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में विपक्षी दलों ने सरकार को बेरोजगारी के मुद्दे पर घेरने का भरसक प्रयास किया था।