पिछले ढाई महीने से अधिक से रूस का यूक्रेन पर आक्रमण जारी है। इस दौरान अमेरिका सहित कई पश्चिमी देशों ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं। यूरोपियन यूनियन भी यूक्रेन पर रूसी आक्रमण को लेकर रूसी तेल पर कड़े प्रतिबंध लगाने की कोशिश कर रहा है लेकिन 27 देशों वाले इस यूनियन में हंगरी सबसे बड़ा रोड़ा बनता दिख रहा है।
रूस के खिलाफ प्रतिबंधों का समर्थन क्यों नहीं कर रहा हंगरी?
बता दें कि हंगरी रूसी तेल और गैस पर बुरी तरह से निर्भर है और उसने साफ कहा है कि वह रूस के खिलाफ प्रतिबंधों का समर्थन नहीं करेगा। हंगरी ने कहा है कि कोयले पर प्रतिबंध ठीक रहेगा, क्योंकि वे हंगरी को प्रभावित नहीं करते लेकिन तेल और गैस पर प्रतिबंध हंगरी को बर्बाद कर देंगे।
रिपोर्ट्स बताती हैं कि हंगरी अपनी जरूरत का 85 फीसद प्राकृतिक गैस और 60 फीसद से अधिक तेल रूस से आयात करता है। 2010 के बाद से हंगरी गैस और तेल के रूस पर और निर्भर हो गया है और ऐसे में हंगरी के लिए रूस के खिलाफ जाना बेहद मुश्किल है।
हंगरी के लिए एटॉमिक बम जैसा होगा रूस पर प्रतिबंध
हाल ही में हंगरी के पीएम विक्टर ओर्बन ने कहा था कि मौजूदा हालात में हंगरी रूस के खिलाफ यूरोपियन यूनियन के नए प्रतिबंध पैकेज का समर्थन नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा था कि मौजूदा प्रस्ताव हंगरी की अर्थव्यवस्था पर गिराए गए ‘परमाणु बम’ के बराबर होगा। उन्होंने सुझाव देते हुए बताया था कि हंगरी बातचीत के लिए तैयार हो सकता है अगर एक नया प्रस्ताव आए जिसमें हंगरी के हितों का ध्यान रखा जाए।
रूस पर निर्भरता कम करने में लगेंगे पांच साल
लैंड-लॉक्ड देश हंगरी के पास कोई पोर्ट नहीं है और ऐसे में तेल और गैस के लिए वह पाइपलाइन पर निर्भर है। हंगरी के पीएम ओर्बन ने कहा है कि हमें रूस पर निर्भरता खत्म करने के लिए कम से कम पांच साल की जरूरत होगी ताकि हम अपनी मौजूदा प्रणाली में बदलाव कर सकें। हम पता है कि हमें क्या चाहिए। सबसे पहले हमें इस पूरी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए 5 साल की जरूरत है।
तो फिर यूरोपियन यूनियन क्या करेगा?
रिपोर्ट्स के मुताबिक यूरोपीय यूनियन ने कहा है कि वह उन देशों की मदद करने को तैयार है जो विशेष रूप से रूसी तेल पर निर्भर हैं। यूरोपियन आयोग के प्रवक्ता एरिक मैमर ने कहा है कि हम मानते हैं हंगरी जैसे देश एक असामान्य स्थित में हैं और ऐसे में हमें समाधान खोजने की जरूरत है। हम हंगरी सहित यूरोपियन यूनियन के उन सभी देशों की मदद करना चाहते हैं जो तेल और गैस के लिए रूस पर निर्भर हैं।