IPEF: समझें 13 देशों का प्लान और चीन पर कैसे पड़ेगी मार, क्या कहते हैं PM मोदी

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हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामक कारोबारी रणनीति का मुकाबला करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने सोमवार को हिंद प्रशांत आर्थिक ढांचा (आईपीईएफ) का ऐलान किया। इस व्यापार समझौते में भारत समेत 13 देशों को शामिल किया गया है। इसका मकसद आपूर्ति शृंखला की राह में आने वाली बाधाओं को दूर करना और सहयोग बढ़ाना है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पहल की तारीफ करते हुए कहा, हिंद-प्रशांत आर्थिक ढांचा दुनिया के आर्थिक विकास का इंजन बनेगा। भारत हमेशा मुक्त, खुला और समावेशी हिंद-प्रशांत को लेकर प्रतिबद्ध रहा है। यह क्षेत्र आर्थिक गतिविधि और निवेश का केंद्र रहा है। इसलिए जरूरी है कि हम इस क्षेत्र की आर्थिक चुनौतियों का समाधान खोजें और व्यवस्थाएं बनाएं। विश्वास, पारदर्शिता और सामयिकता हमारे बीच लचीली आपूर्ति शृंखला के तीन मुख्य आधार होने चाहिए।

ये देश जुड़े

अमेरिका के साथ भारत, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, जापान, ब्रुनेई, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, न्यूजीलैंड, फिलिपीन, सिंगापुर, थाइलैंड और वियतनाम इस समूह में शामिल हैं। इन देशों का विश्व की जीडीपी में हिस्सा 40 फीसदी से ज्यादा है। कहा जा रहा है कि कुछ और देश इससे जुड़ सकते हैं।

क्यों है जरूरी?

कोरोना काल में चीन से आपूर्ति बाधित हुई और कई देशों को खामियाजा भुगतना पड़ा। यही वजह है कि पूरी दुनिया ठोस विकल्प चाहती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कई बार कह चुके हैं कि भरोसेमंद आपूर्ति शृंखला की जरूरत है।

इस करार से अमेरिकी और एशियाई अर्थव्यवस्था आपूर्ति शृंखला, डिजिटल व्यापार, स्वच्छ ऊर्जा समेत कई मुद्दों पर साथ काम करेंगी। कहा जा रहा कि इस समूह से जुड़े देशों के बीच टैरिफ की दरें कम होंगी। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस पहल को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि इससे सदस्य देशों में आर्थिक गठजोड़ मजबूत होगा

मुझे पत्थर पर लकीर खींचने में मजा आता है: मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान में प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में आज सही मायनों में जनता के नेतृत्व वाली सरकार काम कर रही है। मेरा जो लालन-पालन हुआ है, जो संस्कार मुझे मिले हैं, उसके कारण मेरी भी एक आदत बन गई है। मुझे मक्खन पर लकीर खींचने में मजा नहीं आता। मैं पत्थर पर लकीर खींचता हूं। प्रधानमंत्री ने कहा-सवाल मोदी का नहीं है, 130 करोड़ देशवासियों के संकल्प-सपने और सामर्थ्य का है। नया भारत भविष्य को लेकर काफी आशावान है।

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