गिरफ्तार होंगे इमरान खान, पाकिस्तान सरकार बोली- और कोई विकल्प नहीं

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आखिरकार पाकिस्तान की राजनीति में वही हुआ जिसका अंदेशा राजनीतिक विश्लेषक तब से लगा रहे थे जब इमरान खान सत्ता से बाहर हुए थे। सत्ता से बाहर आते ही इमरान ने शाहबाज शरीफ की नवेली सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और आजादी मार्च का ऐलान करते हुए प्रदर्शन शुरू कर दिया। लेकिन अब शाहबाज सरकार भी आर-पार के मूड में है। पाकिस्तान सरकार ने कहा है कि उसने इमरान खान और उनकी पार्टी के अन्य शीर्ष नेताओं को बुधवार को पेशावर से इस्लामाबाद जाते हुए हिरासत में लेने का फैसला किया है।

इमरान के आह्वान के बाद जुटे समर्थक

दरअसल, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने ऐलान किया था वे आजादी मार्च निकालेंगे और इसके बाद लाहौर में आजादी मार्च के लिए पीटीआई के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में एकत्र हुए। पीटीआई की लाहौर इकाई ने अपने कार्यकर्ताओं को बत्ती चौक पर इकट्ठा होने के लिए कहा था, जहां से उन्हें इस्लामाबाद के लिए प्रस्थान करना था। इस बीच पूर्व संघीय मंत्री हम्माद अजहर ने सोशल मीडिया पर घोषणा की कि वह बत्ती चौक पहुंच गए हैं।

प्रदर्शन को देखते हुए सख्त हुई सरकार

उधर बढ़ते जमावड़े को देखते हुए सरकार ने प्रदर्शन की इजाजत नहीं दी और इसके बाद पुलिस ने कार्रवाई शुरू कर दी। पीटीआई कार्यकर्ताओं को रोकने के लिए लाहौर के सभी प्रवेश और निकास मार्ग को बंद कर दिया गया है, जबकि पार्टी नेताओं के आवासों पर छापे मारे गए हैं, जिसके दौरान सांसद एजाज चौधरी और महमूदुर रशीद को गिरफ्तार किया गया था। लाहौर पुलिस ने दावा किया कि एक स्थानीय पीटीआई नेता के घर पर छापे के दौरान वहां से हथियार बरामद किए गए, जब एक पुलिस दल ने प्रांतीय राजधानी में उनके आवास पर छापा मारा।

पुलिस ने दागे आंसू गैस के गोले

लाहौर के बत्ती चौक पर एकत्र पीटीआई कार्यकर्ताओं को रोकने के लिए पुलिस ने बैरिकेटिंग की थी लेकिन कार्यकर्ताओं की भीड जब बेरिकेटिंग को तोड़ती हुई आगे बढ़ी तो पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे।

इमरान खान को गिरफ्तार करने का फैसला

जब हालत बेकाबू हुई तो अधिकारियों ने एजेंसियों के बैठक में यह फैसला लिया कि इमरान खान को गिरफ्तार किया जाएगा। बताया जा रहा है कि लंबे मार्च के दौरान उन्हें गिरफ्तार करना एक असंभव कार्य प्रतीत होता है, फिर भी सरकार के पास संभावित हिंसा को रोकने के लिए उन्हें हिरासत में लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

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