खुफिया एजेंसियों ने अटाला में विरोध का अंदेशा जताया था। जुमे की नमाज से पहले पुलिस और प्रशासन ने तैयारी पूरी की थी। धर्मगुरुओं के साथ बैठक की थी। अमन की अपील की थी लेकिन इसके बाद भी पुलिस और प्रशासन का सारा इंतजाम धरा रह गया। जुमे की नमाज के बाद बवाल हो गया। डीएम ने गुरुवार की शाम आननफानन में धर्मगुरुओं की बैठक बुलाई थी। सबसे शांति बनाए रखने की अपील की थी। सोशल मीडिया से प्रचार-प्रसार किया कि शुक्रवार को शांति बनाए रखना है।
एसएसपी ने सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वालों की पहचान कर कार्रवाई करने को कहा था। सबको सतर्क किया था। जुमे की नमाज से पूर्व सभी मस्जिदों के बाहर फोर्स पहुंच गई। एडीजी, कमिश्नर, आईजी, एसएसपी समेत अन्य अफसर मौके पर थे। नमाज के दौरान पैरामिलिट्री फोर्स के साथ गश्त करते नजर आए। धर्मगुरुओं से जाकर मिले लेकिन इतनी तैयारियों के बाद भी बवाल हो गया।
बवाल वहां हुआ, जहां सुबह से ही सबसे ज्यादा फोर्स थी। बाकी शहर शांत रहा। अटाला में पीएसी के अलावा पैरामिलिट्री जवानों को लगाया गया था। बवाल से पुलिस और प्रशासनिक इंतजामों की पोल खुल गई। न तो सोशल मीडिया का प्रचार-प्रसार काम आया और न स्थानीय लोगों ने पुलिस-प्रशासन पर भरोसा जताया। सड़क पर आकर बच्चों से बड़ों तक ने जमकर बवाल किया।
1-खुफिया तंत्र कमजोर-खुफिया एजेंसियों ने अटाला में विरोध की बात पहले से बताई थी। इसमें शक नहीं है। लेकिन उनके पास पथराव या बवाल की जानकारी पूरी नहीं थी। पुलिस अफसरों को यह बताया गया था कि भीड़ जुटी तो विरोध होगा। पुलिस की पूरी तैयारी भीड़ जुटने से रोकने की थी। अटाला में भीड़ न लगे, इसलिए स्कूल व कॉलेज का गेट बंद कराया गया था कि अटाला में मस्जिद से निकलने के बाद कहीं कोई एकत्र न हो सके। खुफिया एजेंसियों की कमजोरी साफ नजर आई।
2-पुलिस फोर्स की कमी-अटाला में पुलिस ने आरएएफ, पीएसी के अलावा कई थानों की फोर्स लगाई थी। लेकिन जब बवाल शुरू हुआ तो पुलिस चारों तरफ से घिरी नजर आई। एक गली में घुस रही थी तो दूसरी ओर से बवाल होने लग रहा था। आरएएफ जवानों की संख्या कम थी। इसलिए वे मोर्चा नहीं संभाल पा रहे थे। पथराव करने वालों में आरएएफ का भी डर नहीं था। फोर्स की कमी से बवाल काबू करने में काफी समस्या हुई। यह हाल तब था जब बवाल सिर्फ एक जगह हो रहा था।