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BJP की रणनीति के लिए मुफीद है द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति चुनाव के लिए कैंडिडेट बनाना, जानें इसके सियासी फायदे

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भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर अपनी भावी रणनीति का साफ संकेत दिया है। भाजपा देश के आदिवासी समुदाय और महिलाओं के बीच अपनी पैठ को मजबूत करने में जुटी है और इस दृष्टि से द्रौपदी मुर्मू का नाम सबसे मुफीद है। पूर्वी भारत में जड़ें जमा रही भाजपा को ज्यादा लाभ मिलने की उम्मीद है।

मुर्मू का राष्ट्रपति पद के लिए नाम आना चौंकाने वाला नहीं है। जब भी इस पर चर्चा हुई उनका नाम हर बार चर्चा में रहा। दरअसल, भाजपा की भावी रणनीति में पूर्वी भारत, आदिवासी और महिला शामिल रही है। राष्ट्रपति चुनाव के अंकगणित में भाजपा और एनडीए का पलड़ा भारी है और ऐसे में मुर्मू का राष्ट्रपति चुना जाना लगभग तय है। जीतने के बाद द्रौपदी मुर्मू देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति भी होगी। महिला होने से एक अतिरिक्त लाभ भी उन्हें मिलेगा। चूंकि, आदिवासी समुदाय देश भर में फैला हुआ है इसलिए भाजपा को इस समुदाय के बीच अपनी जड़ें और मजबूत करने का मौका भी मिलेगा।

आधी आबादी को संदेश

देश की आधी आबादी यानी महिलाओं को भी वह विशेष संदेश देगी। हाल के चुनाव में भाजपा को महिलाओं का बड़ा समर्थन मिला है। ऐसे में महिलाओं को देश के सर्वोच्च पद के लिए सामने लाना वह भी सबसे वंचित आदिवासी वर्ग से उभारने का एक मजबूत राजनीतिक संदेश है। भाजपा की 2024 के लोकसभा चुनाव की रणनीति के लिए भी यह एक कारगर कदम साबित हो सकता है। 

सामाजिक समीकरण साधने की भी कोशिश

भाजपा की सामाजिक समीकरणों की रणनीति भी इससे साफ होती है, क्योंकि उसने 2017 में दलित समुदाय से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया था। मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद दलित समुदाय से आते हैं। अब भाजपा ने आदिवासी समुदाय से आने वाली द्रोपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाया है। भाजपा की चुनावी सफलता में इन दोनों समुदाय का बड़ा योगदान रहा है। वह इन दोनों आधारों को मजबूत बनाने में जुटी हुई है।

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