महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भारतीय जनता पार्टी से दूरी बनाए रखने के संकेत दिए हैं। शुक्रवार को उन्होंने साफ कर दिया है कि वह भाजपा के साथ नहीं जाएंगे। खास बात है कि असम के गुवाहाटी में मौजूद विधायकों ने बीजेपी के साथ सरकार बनाने की मांग रखी थी। शिवेसना सुप्रीमो ठाकरे ने शनिवार को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है।
शुक्रवार को वीडियो लिंक के जरिए सीएम ठाकरे ने शिवसेना के जिला अध्यक्षों से बात की। उन्होंने कहा, ‘भाजपा से हाथ मिलाने के लिए मैं कुछ विधायकों के दवाब में था। मैं उन लोगों के साथ दोबारा नहीं बैठ सकता, जिन्होंने मातोश्री और मेरे परिवार पर हमला किया है। मैं शांत हो सकता है, लेकिन मैं कमजोर नहीं हूं।’
एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बगावत कर चुके विधायकों ने कहा था कि पार्टी को भाजपा से अपने संबंध फिर तैयार करने की जरूरत है। साथ ही बागी खेमे ने कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से अलग होने की मांग भी रखी थी। सीएम ठाकरे ने कहा, ‘हमने जिन्हें बढ़ा किया, उनकी महत्वकांक्षाएं बहुत बढ़ गई हैं। मैं उनकी महत्वकांक्षाओं को अब और पूरा नहीं कर सकता। उन्हें जाने दें।’
उद्धव ठाकरे से परेशान नहीं हैं बागी विधायक
बागी विधायक एकनाथ शिंदे खेमे के MLA दीपक केसरकर ने साफ कर दिया है कि उन्हें मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से नहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस से परेशानी है। न्यूज18 से बातचीत में उन्होंने बीजेपी से जुड़े सवाल पर कहा कि वे हमेशा भाजपा के साथ काम करना चाहते थे और इस संबंध में कई बार बोला भी।
उन्होंने कहा, ‘हमारी विचारधारा बालासाहब ठाकरे की है।’ उन्होंने कहा कि हम केवल भाजपा की मदद से सरकार बना सकते हैं। उन्होंने जानकारी दी कि अगर उद्धव एनसीपी और कांग्रेस को छोड़ दें, तो हमें कोई दिक्कत नहीं है।