शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के जरिए महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार पर फिर निशाना साधा है। उद्धव ठाकरे की पार्टी ने शिवसेना ने कहा कि एक नाटक रचा गया, जिसका मुख्य उद्देश्य शिवसेना में विद्रोह पैदा करना और महाराष्ट्र की सत्ता को हथियाना था। इसी हिसाब से सभी पात्रों ने अपनी-अपनी भूमिकाएं निभाईं। इसके लिए अलग-अलग प्रयोग सूरत, गुवाहाटी, सुप्रीम कोर्ट, गोवा, राजभवन और अंत में मंत्रालय जैसे स्थानों पर किए गए।
सामना के मुताबिक, सबसे चौंकाने वाला क्लाइमेक्स तब आया जब गुरुवार शाम को राजभवन में नाटक की आखिरी रिहर्सल हुई। जो उपमुख्यमंत्री बनते, वे अचानक मुख्यमंत्री बन गए और जो सोचते थे कि वह मुख्यमंत्री बनेंगे, उन्हें उपमुख्यमंत्री का पद स्वीकार करना पड़ा। काले और सफेद का एक नया युग आ गया है। यही कारण है कि ‘छोटे दिमाग’ और ‘बड़े दिमाग’ को फिर से परिभाषित किया जा रहा है। अगर भाजपा ने ढाई साल पहले समझौते के अनुसार अपनी बात रखने के लिए ‘बड़ा दिल’ दिखाया होता, तो पार्टी के लिए रक्षा के रूप में ‘बड़े दिमाग’ की ढाल लगाने का समय नहीं आता।
‘मास्टरस्ट्रोक के रूप में प्रस्तुत किया गया नाटक’
संपादकीय में लिखा है कि ‘महाराष्ट्र को अस्थिर करने के सियासी ड्रामे के लिए कितने एपिसोड बचे हैं, यह आज भी कोई पक्के तौर पर नहीं कह पा रहा है। घटनाएं अभी भी हो रही हैं। राजनीतिक पंडित, चाणक्य और संवाददाता भी सिर पर हाथ रखकर बैठ जाएं, क्योंकि इस नाटक को मास्टरस्ट्रोक के रूप में प्रस्तुत किया गया है।’
नाटक पर अभी और काम किया जा रहा’
लेख में तंज कसते हुए कहा गया है कि ऐसा ही तब हुआ जब एक पर्दा गिरा या कोई पर्दे पर ही गिर गया। साथ ही तथाकथित ‘महाशक्तियां’, जो इस पूरे राजनीतिक नाटक के पर्दे के पीछे थीं, वो बीच में ही उजागर हो गईं। कम से कम उसके बाद कुछ लोगों को लगा कि यह ड्रामा खत्म हो जाएगा, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है। इसके विपरीत ऐसा लगता है कि इस नाटक पर और अधिक काम किया जा रहा है।