कौन हैं पसमांदा मुसलमान, जिनके जरिए भाजपा ने यूपी में बनाया ’90:10′ का प्लान; कितना होगा कारगर

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पीएम नरेंद्र मोदी ने बीते दिनों हैदराबाद में हुई भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दौरान पसमांदा मुस्लिमों के बीच जाने का ऐलान किया था। इसके लिए उन्होंने स्नेह यात्रा निकालने की भी बात कही थी। तब से ही पसमांदा मुस्लिमों की चर्चा जोरों पर है और कहा जा रहा है कि क्या यह भाजपा का मुस्लिमों के बीच 90:10 कराने का प्लान है ताकि एक बड़े वर्ग के वोट मिल सकें। 

उनकी इस पहल का कई राजनीतिक विश्लेषकों ने स्वागत किया है तो वहीं कुछ लोग इसे संदेह की नजर से भी देखते हैं। यूपी विधानसभा चुनाव में 8 फीसदी मुस्लिम वोट जो भाजपा को मिला था, उसमें पार्टी मान रही है कि इस वर्ग का ही बड़ा मत था। ऐसे में उसकी यह पहल खासतौर पर यूपी में आने वाले दिनों में बड़ा असर दिखा सकती है। 

बता दें कि रामपुर और आजमगढ़ जैसी लोकसभा सीटों पर हाल ही में हुए उपचुनावों में सपा को करारी हार झेलनी पड़ी थी, जबकि इन्हें उसके गढ़ के तौर पर देखा जाता है। भले ही भाजपा को इस जीत में मुस्लिमों का बड़ा योगदान न मिला हो, लेकिन यह साफ है कि सपा के पक्ष में भी वह उतनी मजबूती से नहीं खड़ा रहा। ऐसे में भाजपा मानती है कि मुस्लिमों के बड़े वर्ग की सपा से दूरी उसके लिए अवसर की तरह हो सकती है। 

पसमांदा ऐक्टिविस्ट क्यों कर रहे स्वदेशी और विदेशी का दावा

हालांकि फैजी कहते हैं कि हमें पसमांदा मुस्लिम कहने की बजाय भारतीय मुस्लिम और विदेशी मूल के मुस्लिम का फर्क समझना चाहिए। वह कहते हैं कि खुद को अशराफ कहने वाले मुस्लिम वर्ग के लोग विदेशी मूल के हैं और वह अपने को शासक वर्ग मानते हैं। वहीं पसमांदा मुस्लिमों में वे लोग हैं, जो किसी दौर में हिंदू ही थे, लेकिन वह मजहब बदलकर मुस्लिम बने तो अपनी जाति और संस्कृति भी लेकर इस्लाम में आए। 

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